अभी कुछ दिन ही हुए हैं जब कैसरगंज के बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ कर नए सांसदों को पद की शपथ दिला रहे थे। लेकिन बीजेपी के इस सांसद ने अपनी हरकतों को जानकर आप सोंचने पर मजबूर हो जाएंगे कि कैसे कैसे लोगों को कभी कभी लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा दिया जाता है। बीजेपी के सांसद को पूरा अवध क्षेत्र बाहुबली नेता के रूप में जानता हैं। खेल शिक्षा और राजनीति के इस घालमेल में अपने असली चेहरे और चरित्र को पूरी तरह से ढक लिया है। अभी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के करतूतों से बीजेपी को जवाब देते नही बन रहा है उपर से कैसरगंज के सांसद की दबंगई बीजेपी आलाकमान की नींद उडाने के लिए काफी है।
बीजेपी नेता और सांसद की दबंगई के किस्से तो सारे क्षेत्र में हर व्यक्ति को पता है लेकिन आम आदमी ही क्या उनकी दबंगई के आगे शासन और प्रशासन सब नतमस्तक हो जाते हैं।
ताज़ा मामला गोण्डा जिले के तरबगंज तहसील का है। जहां पर सांसद की दबंगई से एक महिला और उसका पूरा परिवार खौफ के साए में जी रहा है। सांसद के गुर्गों की तरफ से महिला और उसके परिवार को जान से मारने की लगातार धमकियां दी जा रही हैं।
मामला गोण्डा के तरबगंज तहसील के बनघुसरा गांव के रहने वाली महिला जशोदा का है…जिन्होंने 2014 में गोण्डा-फैज़ाबाद रोड के किनारे जमीन खरीदी थी…इसी जमीन के पीछे लगभग 100 मीटर की दूरी पर बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह की संस्था का एक कॉलेज है…यशोदा अपने जमीन में घर का निर्माण करा रही थी। घर का निर्माण कार्य के दौरान बीजेपी के सांसद के गुर्गे पहुँचते है और घर निर्माण कार्य रोक देते हैं यही नहीं पीडित महिला के अनुसार सांसद के आदमियों ने महिला और उसके घरवालों को जान से मारने की धमकी भी दी। जिससे परेशान होकर वृद्ध यशोदा ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन सत्ता के आगे नतमस्तक प्रशासन ने कोई मदद नहीं की। जिसके बाद पीड़ित यशोदा ने अपने जमीनी दस्तावेजों के साथ हाइकोर्ट में अपील की…हाइकोर्ट ने यशोदा के पक्ष में सुनवाई करते हुए गोण्डा जिले के डीएम व एसपी को आदेश दिया कि इस मामले में यशोदा के परिजनों का सुरक्षा दी जाए और घर निर्माण में कोई बाधा न हो इसका उचित इंतजाम किया जाय। सत्ता के हनक के आगे जिला प्रशासन भीगी बिल्ली बना हुआ है। हाईकोर्ट के अादेश के बाद महिला के घर सुरक्षा की खानापूर्ति तो कर दी गई है लेकिन पीडिता का मकान अब भी बिना छत के है। और धमकियां लगातार मिल रही हैं।अपनी जमीन पर पीड़ित यशोदा ने 20 जून 2019 को घर निर्माण का कार्य शुरू किया…2 जुलाई 2019 को पीड़ित के घर के पीछे की जमीन का बड़ा हिस्सा बीजेपी सांसद की संस्था द्वारा खरीद लिया गया…लेकिन आश्चर्यजनक रुप से इस खरीदी गई जमीन के दस्तावेजों में वह हिस्सा भी आ गया जिसमें यशोदा अपना घर बनवा रही थी। जिसके बाद बीजेपी सांसद के पुत्र करन भूषण शरण सिंह ने यशोदा के जमीन पर अपना दावा पेश करते हुए चल रहे निर्माण कार्य को अपने गुर्गों को भेजकर रुकवा दिया और जमीन को कब्जाने की कोशिश की। पीड़ित ने इसकी शिकायत पुलिस प्रशासन से की लेकिन कोई मदद न मिलने पर पीड़ित ने हाइकोर्ट में पेटिशन दायर किया…हाइकोर्ट में पीड़ित की अपील पर सुनवाई हुई और जिले के डीएम और एसपी को हाइकोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़ित व उसके परिजनों को घर के निर्माण कार्य दूसरे पक्ष से कोई रुकावट न पैदा किया जा सके इसके लिए सुरक्षा दी जाए। यह आदेश हाइकोर्ट ने 18 जुलाई दिया और आदेश की कॉपी 21 जुलाई आदेश की कॉपी लेकर पीड़ित के परिजन डीएम के पास पहुँचे लेकिन गोण्डा डीएम की ओर से जो रिस्पॉन्स मिलना चाहिए था वह इस पीड़ित परिवार को नहीं मिल पाया…जिलाधिकारी द्वारा डरे सहमे इस परिवार भरोसे में नहीं लिया गया जिससे आदेश के 10 दिन बाद भी यह परिवार अपने घर का निर्माण कार्य नहीं शुरू कर पा रहा है।
एक तरफ मौजूदा केंद्र व राज्य सरकार पीड़ितों को सुरक्षा की बात करती लेकिन सत्ता पर ही काबिज नुमाइंदो को दबाब में प्रशासन दोहरी मानसिकता दिखा रही है…नजारा यह है कि हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी गोण्डा जिला प्रशासन पीड़ित परिवार को सुरक्षा नहीं मुहैया करा पा रही है।