महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र पीपीगंज के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ विवेक प्रताप सिंह बताते है कि ब्रुसिल्लोसिस (पशुओं का छूतदार गर्भपात) जीवाणु जनित रोग है इस रोग में गोपशुओं तथा भैंसों में गर्भवस्था के अन्तिम त्रैमास में गर्भपात हो जाता है।
यह रोग पशुओं से मनुष्यों में भी आ सकता है । मनुष्यों में यह उतार-चढ़ाव वाला बुखार नामक बीमारी पैदा करता है। पशुओं में गर्भपात से पहले योनि से अपारदर्शी पदार्थ निकलता है तथा गर्भपात के बाद पशु की जेर रुक जाती है । इसके अतिरिक्त यह जोड़ों में आर्थ्रायटिस (जोड़ों की सूजन) पैदा के सकता है ।
उपचार व रोकथाम: अब तक इस रोग का कोई प्रभावकारी इलाज नहीं हैं। रोग की रोकथाम के लिए बछड़ियों में 3-6 माह की आयु में ब्रुसेल्ला-अबोर्टस स्ट्रेन-19 के टीके लगाए जा सकते हैं। पशुओं में प्रजनन की कृत्रिम गर्भाधान पद्यति अपना कर इस रोग से बचा जा सकता है।