संतोष नेगी/चमोली/ नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत बद्रीनाथ धाम में बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को आॅनलाइन लोकापर्ण किया। बद्रीनाथ धाम में 18.23 करोड़ की लागत से पुल के पास एक एमएलडी और बद्रीनाथ मंदिर के पास 10 केएलडी का प्लांट तैयार किया गया है। पूरे उत्तराखंड राज्य में नमामि गंगे के तहत 520.65 करोड़ की लागत से आठ एसटीपी प्रोजेक्ट तैयार किए गए है। जिनका प्रधानमंत्री ने आॅनलाइन लोकापर्ण किया। क्लीन गंगा मिशन के तहत निर्धारित समय से एसटीपी तैयार करने पर प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार सहित नमामि गंगे की पूरी टीम को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे गंगा को उद्गम स्थल से ही स्वच्छ एवं निर्मल रखने में मदद मिलेगी। बद्रीनाथ में एसटीपी के लोकपर्ण कार्यक्रम में गढवाल सांसद तीरथ सिंह रावत, बद्रीनाथ विधायक महेन्द्र प्रसाद भट्ट, जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया, पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान नमामि गंगा प्रोजेक्ट के प्रबंधक केके रस्तोगी आदि मौजूद रहे। कोविड के दृष्टिगत लोकापर्ण कार्यक्रम के दौरान शारीरिक दूरी का भी विशेष ध्यान रखा गया।
एसटीपी के लोकापर्ण के साथ ही बद्रीनाथ धाम में सीवरेज की वर्षो पुरानी समस्या दूर हो गई। गंगा नदी को उद्गत स्थलों से ही स्वच्छ बनाने के लिए नमामि गंगे के तहत बद्रीनाथ में सीवरेज शोधन संयत्र (एसटीपी) बनाकर सीवर नालों को टेप किया गया है और सीवरेज ट्रीटमेंट के बाद ही स्वच्छ जल को नदी में छोडा जाने लगा है। यहाॅ पर 18.23 करोड़ की लागत से एसटीपी बनाए गए है।
प्रधानमंत्री ने एसटीपी का लोकपर्ण करने के बाद संबोधित करते हुए कहा कि गंगा हमारी सांस्कृतिक वैभव, आस्था और विरासत तीनों का प्रतीक है। जो हमारे देश की आधी से भी अधिक आबादी को समृद्व करती है। इसलिए इसकी स्वच्छ एवं निर्मल रखना हम सभी का दायित्व है। कहा कि नई सोच एवं नई एप्रोच के साथ नमामि गंगे के तहत गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए वृहद स्तर पर चैहमुखी कार्य किए जा रहे है। गंगा में गंदे नालों को गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का जाल विछाया गया है। गंगा नदी तट के गांवों को खुले में शौच मुक्त कर प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए है। उन्होंने कहा कि प्रयाग राज कुंभ में गंगा की निर्मलता दुनिया भर के श्रद्वालु अनुभव कर चुके है और आने वाले हरिद्वार कुंभ में भी श्रद्वालुओं को इसका अनुभव होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री को आभार व्यक्त करते हुए बताया कि उत्तराखंड राज्य में जो नए एसटीपी बने है वे सभी अत्याधुनिक बने है। इनमें साॅलिड वेस्ट का इस्तेमाल कम्पोस्ट के रूप में किया जाएगा। बताया कि राज्य में 135 नालों में से 128 नालों को रोककर सीवेज ट्रीटमेंट किया जा रहा है। जल्द ही शेष नालों में भी सीवेज की व्यवस्था की जाएगी। गंगा तट में औषधीय पौधों का रोपण के साथ ही जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सीवेज से शोधित जल का उपयोग सिंचाई एवं जैविक ठोस को कम्पोस्ट खाद के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री द्वारा गंगा को निर्मल और स्वच्छ रखने के लिए गंगा के उद्गम स्थलों से ही एसटीपी स्थापित करने पर गढवाल सांसद श्री तीरथ सिंह रावत एवं बद्रीनाथ विधायक श्री महेन्द्र प्रसाद भट्ट ने भी प्रधानमंत्री का अभार व्यक्त किया।
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि जिले में नामामि गंगे परियोजना का काम तय समय के भीतर बेहतर गुणवत्ता के साथ पूरा कराया गया है। कहा कि बद्रीनाथ में हर साल लाखों की संख्या में देश विदेश के श्रद्वालु आते है। गंगा को अविरल रखने के लिए यहां पर एसटीपी स्थापित होना एक बडी उपलब्धि है।
बदीनाथ में लोकपर्ण कार्यक्रम के दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट, मा0 राज्य मंत्री राम कृष्ण रावत, पूर्व बद्री केदार समिति अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, सीडीओ हंसादत्त पांडे, एसडीएम अनिल चन्यिाल, नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर, संजीव कुमार वर्मा, प्रोजेक्ट इलेक्ट्रीकल मैनेजर सचिन कुमार, परियोजना अभियंता बबीता सिंह, अपर परियोजना अभियंता संदीप कुमार सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि पूरी दुनियां आने वाले समय में प्रयोग करने लायक पानी की उपलब्धता को लेकर चिन्तित है। ऐसे में एसटीपी की उपयोगिता दिनों-दिन बढती जा रही है। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से उपयोग के बाद बेकार हो चुके पानी को मशीनों से साफ कर फिर से प्रयोग लायक बनाया जाता है। हमारे घरों एवं बडी फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी बहकर सीधे नदी, तालाबों में मिलकर स्वच्छ पानी को भी दूषित कर देता है। इसको रोकने और दूषित जल को पुनः प्रयोग में लाने के लिए एसटीपी कारगर साबित हो रहा है। एसटीपी में दूषित जल को साफ करने के लिए भौतिक, रासायनिक और जैविक विधि का इस्तेमाल होता है और पानी को फिर से प्रयोग में लाने लायक बनाया जाता है। इससे निकलने वाली गंदगी का शोधन कर वातावरण के सहायक के रूप मेे किया जाता है। एसटीपी में जल को साफ करने की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होती है। पहले चरण में ठोस पदार्थ को जल से अलग किया जाता है। फिर जैविक पदार्थ को एक ठोस समूह एवं वातावरण के अनुकूल बनाकर इसका प्रयोग खाद एवं लाभदायक उर्वरक के रूप में किया जाता है। इसके बाद ही स्वच्छ जल को नदी, तालाबों आदि में छोड दिया जाता है।