केंद्र सरकार विकास कार्यों के लिए 60 सूत्री एक्शन प्लान तैयार की है। बता दें 18 सितंबर को सभी विभागों और मंत्रालयों के सचिवों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मैराथन बैठक के बाद ये एक्शन प्लान तैयार की गई है।
द इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद दस्तावेज के अनुसार, “भारत में नागरिकता का कोई प्रमाण नहीं है। नागरिकता को टेक्नोलॉजी के माध्यम से जन्म प्रमाण पत्र से जोड़ा जा सकता है।
वहीं वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि कार्रवाई योग्य इनपुट सभी सचिवों को भेज दिए गए हैं। जबकि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने 20 सितंबर को सचिवों को अलग से पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों पर तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा है।
जाने क्या है पीएम मोदी का एक्शन प्लान-
इस 60-सूत्रीय योजना में अलग-अलग मंत्रालय के काम दर्ज हैं। मोटे तौर पर इसमें तीन भागों पर जोर दिया गया है- शासन के लिए आईटी का लाभ उठाना, व्यावसायिक माहौल में सुधार और सिविल सेवाओं को बेहतर करना।
बिजनस को आकर्षित करने के लिए इसमें कई बिंदुओं को शामिल किया गया है। जैसे- कुछ अनुमतियों को पूरी तरह से समाप्त करना, 10 क्षेत्रों में व्यवसाय शुरू करने की लागत को कम करना और इसे वियतनाम और इंडोनेशिया के बराबर लाना।
समय पर भूमि अधिग्रहण और वन मंजूरी के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करना। एक व्यापक पर्यावरण प्रबंधन अधिनियम जिसमें सभी कानून शामिल हों।
योजना में नीति आयोग से पांच सालों में गरीबी मिटाने का लक्ष्य रखने के लिए कहा गया है। अलग-अलग मंत्रालयों की योजनाओं को आधार के जरिए एक साथ लाने की बात भी इसमें कही गई है।
कार्य योजना तैयार करने में प्रधानमंत्री ने विभागों और मंत्रालयों को दूसरे राज्यों की सफलताओं से सीख लेने के लिए भी कहा है।
खेल विभाग को राष्ट्रीय स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा मॉडल को अपनाने के लिए कहा गया है।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग को भारतीय रिजर्व बैंक के मास्टर सर्कुलर जैसे सभी सरकारी सर्कुलर को रखने के लिए कहा गया है।
इसके अलावा, सेंट्रल कमान और नियंत्रण केंद्र जैसी प्रणालियों को इंडस्ट्री द्वारा एक सेवा के रूप में उपलब्ध कराया जा सकता है। ताकि छोटे शहर भी लाभ उठा सकें।
पीएम ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से झुग्गियों के विस्तार या बनने से रोकने के लिए, निर्माण में लगे लोगों के लिए आवासीय सुविधाओं की योजना शुरू करने के लिए कहा है।
इसमें यह भी कहा गया है कि सभी सरकारी आंकड़ों को सभी मंत्रालयों के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए।
बता दें कुल मिलाकर जन्म प्रमाण पत्र को नागरिकता से जोड़ने से लेकर व्यापार समझौतों पर बातचीत करते हुए नौकरियों के लिए जोर देने तक, ‘पारिवारिक डेटाबेस डिजाइन’ को बढ़ावा देने से लेकर एकल पर्यावरण अधिनियम का मसौदा तैयार करने तक, इसके अलावा और भी कई कानून इस योजना के अंडर लाने की योजना है।