उत्तर प्रदेश सरकार ने आखिरकार ‘डॉन’ को अपनी जमीन पर लाकर ही दम लिया। पंजाब की रोपड़ जेल में बंद मुख्तार अंसारी को यूपी पुलिस लेकर बांदा की जेल आज सुबह ही पहुंची। जिसके बाद अब माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को लखनऊ की एमपी एमएलए कोर्ट में 12 अप्रैल को पेश किया जाएगा। बता दें कि यूपी पुलिस करीब 900 किलोमीटर का सफर 16 घंटे में तय करते हुए मुख्तार अंसारी को कड़ी सुरक्षा के बीच बुधवार सुबह 4.30 बजे बांदा जेल लेकर पहुंची थी। इस दौरान तीन बार उसका रूट भी चेंज किया गया था। जेल पहुंचने के बाद 4 डॉक्टरों की टीम ने मुख्तार अंसारी का मेडिकल चेकअप किया हैं।
यूपी पहुंचते ही माफिया डॉन पर चाबुक चलाया जाने लगा है। एंबुलेंस मामले में भी यूपी पुलिस ने अंसारी के खिलाफ शिकंजा कस दिया है। एंबुलेंस मामले में अंसारी को बाराबंकी भी लाया जाएगा। मऊ जिले के मुख्तार के कुछ दूसरे गुर्गों को भी पुलिस जल्द ही गिरफ्तार कर सकती है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ बाराबंकी कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ है। दरअसल, मुख्तार अंसारी फर्जी दस्तावेज पर मऊ के श्याम संजीवनी अस्पताल की एंबुलेंस इस्तेमाल कर रहा था।
डॉन की हत्या का मास्टर प्लान
माफिया मुख्तार की हत्या की सुपारी का खुलासा हुआ साल 2015 में, जब चांद मियां से उसकी दुश्मनी की बात सामने आई। मुख्तार अंसारी की हत्या का प्लान बेहद ही शातिराना ढंग से तैयार किया गया था। इस प्लान का खुलासा दिल्ली पुलिस की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने किया था। कभी मुख्तार अंसारी का खास रहा चांद मिया इस पूरे प्लान की अहम कड़ी है। किसी डील को लेकर मुख्तार से विवाद के बाद वो मुख्तार के एंटी गैंग बृजेश सिंह के गैंग में शामिल हो गया और बृजेश सिंह के लिए काम करने लगा।
मुख्तार अंसारी को मारने के लिये बृजेश ने चांद मिया को पूरे 6 करोड़ की सुपारी दी थी, इसके लिए 50 लाख रुपये एडवांस दिए गए थे। आरा जेल से रची गई इस साजिश में जेल में बंद बम-मेकिंग एक्सपर्ट लंबू शर्मा भी शामिल है। चांद मिया ने लंबू से जेल में मुलाकात की और मुख्तार की हत्या की सुपारी दे डाली।
सोची समझी साजिश के तहत 23 जनवरी को आरा कोर्ट में पेशी के दौरान हुए बम ब्लास्ट में लंबू शर्मा अपने एक साथी के साथ भाग निकलने में कामयाब हो गया और इस साजिश में नगीना नाम की एक महिला ने उसका साथ दिया, जिसकी धमाके में मौत हो गई। जेल से फरार होने के बाद लंबू महाराष्ट्र चला गया। वहां फोन पर चांद मिया ने लंबू की बात डॉन बृजेश से कराई और फिर डील पक्की होने के बाद आगरा जेल में बंद मुख्तार अंसारी से उसकी मुलाकात कराई।
मुख्तार अंसारी इस बात से अंजान था कि चांद मिया उससे अलग हो चुका है और उसी की सुपारी देने के लिए लंबू शर्मा को उसकी पहचान कराने के लिए लाया था। मुख्तार को लगा था कि लंबू शर्मा को अपने गैंग में शामिल कराने के लिए लाया है।
चांद मिया ने मुख्तार को मारने की तारीख तय करने के लिए लंबू को दिल्ली बुलाया था। सूत्रों की मानें तो चांद मिया दिल्ली में बिहार के जेडीयू के एक सांसद से मिलने आता रहता था। चांद ने सांसद के घर ही लंबू शर्मा को मिलने के लिए बुलाया और फिर आगे की साजिश रची गई। लेकिन मुख्तार को मारने की तारीख तय हो पाती, उससे पहले ही दिल्ली के कश्मीरी गेट से स्पेशल सेल ने लंबू शर्मा को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ।
जेलों में मुख्तार अंसारी का लगता था दरबार
उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय के सूत्रों की मानें तो, मुख्तार अंसारी कानून के गच्चा देने की कला में माहिर है। अदालतों में मुकदमों की सुनवाइयों के दौरान जितना लाव-लश्कर किसी राज्य सरकार या फिर पुलिस का मौजूद नहीं होता है। उससे कई गुना ज्यादा या कहिए भारी लाव-लश्कर मुख्तार अंसारी का अदालतों में पहुंचता है। उसकी अपनी सुरक्षा चेन होती है। जो पुलिस के काफिले के आगे पीछे चलती है। शायद इस आशंका से कि कहीं पुलिस किसी मुठभेड़ का रूप देकर मुख्तार को आते-जाते कथित रूप से निपटा न दे। हांलांकि, दूसरी ओर यूपी पुलिस से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि, इस तरह बे-सिर-पैर की आशंकाएं सिर्फ और सिर्फ पुलिस पर प्रेशर बनाने के लिए मुख्तार के द्वारा ही गढ़ी, बनाई, बताई, उड़ाई जाती हैं।
जब-जब उस पर जेलों में सख्ती बरती जाती है तब तब वो, कोई न कोई मनगढ़ंत कहानी रचना सुनाना शुरू कर देता है। ताकि वो जेलों के अंदर भी खुद की सल्तनत निर्वाध चलाता रहे। ऐसा नहीं है कि इस तरह की खबरें सिरे से खारिज कर दी जाएं। यूपी की कई ऐसी जेले हैं भी हैं जिनमें किसी जमाने में मुख्तार अंसारी का दरबार लगता था। सलाखों में रहकर भी वो बाहर अपना परचम लहराए रखता था। यह अलग बात है कि मौजूदा वक्त में उसे यूपी की जेलें बदले हुए हालात-हूकुमत में बेहद खल रही हैं क्योंकि वो जानता है कि मौजूदा वक्त में यूपी की किसी भी जेल में उसका “दरबार” नहीं सज पाएगा।