गोण्डा/बीते 18 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने लाव – लश्कर के साथ गोण्डा के वनटांगिया गांव पहुँचे थे जहां सीएम योगी ने चार वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया था और इन गांवों में रहने वाले ग्रमीणों को पहचान पत्र बांटते हुए 24 से 48 घंटे के अंदर आधारभूत सुविधायें प्रदान करने के साथ ही सरकारी योजनाओं से लाभाविन्त करने का वादा भी किया था लेकिन अभी तक इस गांव में हुआ क्या – क्या और यंहा के ग्रामीणों को अधिकारियों ने कौन – कौन सी सुविधाएं मुहैया करायी है।
आज से लगभग डेढ़ महीने के बाद भी इन गांव वालों को सरकारी योजना के नाम पर एक शौचालय भी नहीं मिला। वनटांगिया में रहने वाले ग्रमीण अपने को अब ठगा सा महसूस कर रहे है सीएम योगी के आने से पहले यहां अधिकारियों का जमावड़ा लगा रहता था और योगी के स्वागत में कोई कमी न हो इसलिए इस गांव को दुल्हन की तरह सजाया गया था और बाकायदा दिन के दोनों समय कीटनाशक दवाओं व मच्छर मारने की दवाओं का छिड़काव भी किया जाता था।
लेकिन वनटांगिया गांव में रहने वाले हनुमान प्रसाद और मीता ने बताया कि जब योगी जी आने वाले थे तो अधिकारियों का कहना था आपको सारी योजनाओं का लाभ व सरकारी सुविधायें महज दो दिन के भीतर दे दी जायेगी लेकिन उनके जाने के इतने दिनों के बाद भी कुछ नहीं मिला और अब किसी सरकारी दफ्तर में जाओ तो अधिकारी कहते है कि अभी ऊपर से कोई बजट नहीं है हमें आपको कुछ नहीं दे सकते है।
छलावा क्या होता है
शायद इन ग्रामीणों से बेहतर कोई नहीं बता सकता बीते 18 मई को दो मंत्री, तीन सांसद , सात विधायक व जिले के आलाधिकरियों के साथ लाखों रुपये खर्चकर मुख्यमंत्री योगी यहां आए थे और इन ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं बिजली, पानी, सड़क व शिक्षा देने के वादा कर चले गए।
सबसे दिलचस्प बात ये है कि जिस घर में मुख्यमंत्री योगी ने अपने मंत्रियों, सांसदों व विधायकों के साथ सहभोज किया था उस घर को योजनाओं के नाम पर एक शौचालय तक नहीं मिल पाया। इसी गांव की रहने वाली 70 साल की ज़ाहिदा बेगम कहती है कि अब तो आश भी टूटने लगी है जाहिदा ने बताया जब योगी जी आने वाले थे तब यहां नेताओं व अधिकारियों का मेला लगा रहता था लेकिन उनके जाने के बाद यहां के लोंगों को कोई पूछने वाला भी नहीं है।
जिस घर मुख्यमंत्री ने खाना खाया था उस घर की महिला मीता बताती है कि योगी हमारे घर पर आए थे और खाना खाया थे उन्होंने कहा था आप सब की समस्या दूर होगी लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद कुछ नहीं हुआ, बिजली नहीं है, नल नहीं है, शौचालय नहीं है, स्कूल नहीं है – कुछ भी नहीं हो पाया है।
सरकारी तंत्र किस तरह से काम करता है इसका एक उदाहरण है कि ये जो अधिकारी योगी के आने के समय महज दो दिनों के भीतर इन गांव वालों को योजनाओं के तराजू में तौल रहे थे वही अधिकारी 40 दिन बीत जाने के बाद भी इस गांव के लोगों को न तो उज्जवला योजना के तहत एक गैस कनेक्शन दे सके और न ही जनधन योजना के तहत बैंक में एक खाता भी खुलवा पाए, पीएम आवास, शौचालय, बिजली व सड़क तो कोसों दूर है।