
FILE — Health workers during a COVID alert in Wuhan, China on Jan. 11, 2021. Beijing argues that its system represents a distinctive form of democracy, one that has dealt better than the West with challenges like the pandemic. (Gilles Sabrie/The NewYork Times)
चीन में एक बार फिर से कोरोना का कहर शुरु हो गया है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या में 85 से 95 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। मंजर ये है कि अस्पतालों में बेड फुल हैं। मरीजों को फर्श पर लेटाकर उनका इलाज किया जा रहा है। डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ की भी भारी कमी है। दवाओं और ऑक्सीजन की कमी का संकट भी गहराने लगा है।
हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग मर रहे हैं। अकेले राजधानी बीजिंग में बीते कुछ दिनों में सैकड़ों मौतें होने का अनुमान है। मौतें इतनी तेज़ी से हो रही हैं कि अस्पतालों में अब लाशें रखने की जगह नहीं बची है। लाशें एक के ऊपर एक रखी जा रही हैं। कमरों से लेकर गलियारों और अस्पताल के बाहर भी लाशों को रखा जा रहा है। कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए कई कई दिनों की वेटिंग है। विशेषज्ञों का दावा है कि अगले दो से तीन महीने के अंदर चीन के 80 करोड़ से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। जबकि चीन के अनुसार हालात काबू में हैं।
पश्चिमी मीडिया रिपोर्टस् के अनुसार चीन कोरोना के आंकड़ों को लगातार छिपा रहा है। सरकार की तरफ से नवंबर मध्य तक 11 मौतों की सूचना दी गई थी, जबकि रोज 10,000 से ज्यादा संक्रमित मिल रहे थे। उधर, अंत्येष्टि स्थलों और अस्पतालों के वीडियो कुछ और ही तस्वीर दिखा रहे हैं।
सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में दावा किया गया है कि चीन के अस्पताल कोरोना मरीजों से भरे पड़े हैं और अंत्येष्टि के लिए लंबी कतारें लग रही हैं। अंतिम संस्कार के लिए कई कई दिनों की वेटिंग है। दवाओं की कमी का आलम ये है कि दवा फैक्टरी के बाहर लाइनें लगी हैं। ये कोरोना का नया वेरियेंट बताया जा रहा है जिसकी फैलने की रफ्तार पुराने सभी वेरियंट से बहुत तेज़ बताई जा रही है और कुछ ही घंटों में मरीजों की संख्या दुगुनी हो जाती है।