दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में मंगलवार का दिन एक ऐतिहासिक दिन रहा. उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने ईएमसी करिकुलम के तहत बिज़नेस ब्लास्टरर्स प्रोग्राम को लॉंच किया. श्री सिसोदिया ने कहा कि हमें बेहद गर्व है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हम बिज़नेस ब्लास्टरर्स प्रोग्राम की शुरुआत कर रहे है. आज का ये दिन देश की तरक्की का आधार बनेगा. उन्होंने कहा कि बिज़नेस ब्लास्टरर्स की शुरुआत विकसित भारत की नीँव बनेगा. हम देश के सभी स्कूलों में एंत्रप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम और बिज़नेस ब्लास्टरर्स प्रोग्राम शुरू कर दे तो वो दिन दूर नहीं जब हम अपने पाठ्यपुस्तकों में ये पढ़ाएंगे कि भारत विकासशील देश नहीं बल्कि विकसित देश है. उन्होंने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब दिल्ली के स्कूल से पढ़ कर निकलने वाले बच्चे नौकरी पाने की लाइन में लगने के बजाय नौकरी देने वालों की श्रेणी में खड़े होंगे. तब जाकर देश 5 ट्रीलियन डॉलर इकॉनमी का सपना भी पूरा होगा और देश से बेरोजगारी की समस्या भी खत्म होगी. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल नाम बदलना नहीं है. हम नाम बदलने में विश्वास नहीं करते बल्कि तस्वीर भी बदलनी है.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हम कहते है कि भारत युवाओं का देश है लेकिन पढ़े-लिखे बेरोजगारों का देश है. ईएमसी ये तस्वीर बदलेगी और भारत को पढ़े-लिखे सक्षम युवाओं का देश बनाएगी. उन्होंने ने कहा कि वो दिन दूर नहीं है जब दिल्ली के स्कूलों से निकलने वाला एक-एक बच्चा जॉब मांगेगा नहीं बल्कि जॉब क्रिएट करेगा. और यदि वो नौकरी भी करेगा तो वो किसी नौकरी के लिए लाइन में नहीं लगेगा बल्कि नौकरी उनके पीछे भागेगी. उन्होंने कहा कि, मुझे पूरा भरोसा है कि दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपने कॉन्फिडेंस से इस तस्वीर को सच साबित करके दिखायेंगे. उन्होंने कहा कि आज हम अपने बच्चों को जिस जॉब के लिए तैयार कर रहे हैं, आने वाले सालों में वो जॉब कंप्यूटर करने लगेगा. क्योंकि हम बच्चों को मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, लैंग्वेज, सोशल-साइंस तो सिखा रहे है लेकिन उनके अंदर एंट्रेप्रेंयूरिअल माइंडसेट विकसित नहीं कर रहे है.
श्री सिसोदिया ने कहा कि आज भारत में लगभग 25 करोड़ लोग बेघर है पर लाखों सिविल इंजिनियर बेरोजगार घूम रहे है. 18 करोड़ लोग आज भी मुल्क में भूखे सोते हैं और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से निकले बच्चे कह रहे हैं कि हमारे पास काम नहीं है. हम हर साल हजारों केमेस्ट्री पीएचडी पैदा कर रहे है फिर भी देश में दवाइयों की कमी है. ये विडंबना है और सवाल है एजुकेशन सिस्टम पर हमें ये देखना होगा कि एजुकेशन सिस्टम में कही न कही कोई दिक्कत रह गई है. एजुकेशन सिस्टम में सबसे बड़ी कमी यही है कि हम अपने बच्चों को नॉलेज तो दे रहे हैं लेकिन एंटरप्रेन्योर माइंडसेट नहीं दिया. हम उन्हें मेहनत करना सिखा रहे है, टैलेंटेड बना रहे है लेकिन उनके अंदर एंत्रप्रेन्योर बनने की हिम्मत पैदा करने में असफल रहे है. हमारे इन टैलेंटस को विदेशी कंपनियां लेकर चली गई और इससे उस देश के अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ. आज भारत के हर एक घर में ये सपना देखा जाता है कि कोई जुगाड़ हो जाए तो अमेरिका या यूरोप के किसी देश की कंपनी में नौकरी मिल जाएगी. हम इसके खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अपने टैलेंट और एंट्रेप्रेंयूरिअल माइंडसेट के साथ भारत में भी ऐसी कंपनी खड़ी कर दें कि अमेरिका और यूरोप के बच्चे भी भारत की इन कम्पनियों में नौकरी करने का सपना देखे.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश में नौकरियां वर्ल्ड बैंक, नीति आयोग की रिपोर्ट और नेताओं के आश्वासन से पैदा नहीं होंगी बल्कि बिजनेस ब्लास्टर और ईएमसी जैसे प्रोग्राम से निकलेगी. इन कार्यक्रमों द्वारा हमारे स्कूलों-कॉलेजों से जॉब सीकर्स की फौज नहीं बल्कि देश के युवाओं को जॉब देने वाले एंत्रप्रेन्योर निकलेंगे. उन्होंने कहा की हमारे देश में एक बुनियादी खामी ये है कि जिन इंडस्ट्री पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी है वे बहुत समय पहले ही यूरोपीय और अमेरिकी देशों में शुरू हो चुकी थी. हमारे देश में फ्लिप्कार्ट की शुरुआत तब हुई जब पूरे विश्व में अमेज़न अपनी पकड़ बना चुका था. हम क्यों नहीं फेसबुक या ट्विटर जैसी कंपनी के बारे में सोच पांए? क्योंकि हमने अपने बच्चों को एंतरप्रेन्योर बनना नहीं सिखाया.
श्री सिसोदिया ने कहा कि, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी का सपना किसी पीएम या सीएम के कहने से पूरा नहीं होगा बल्कि ईएमसी जैसे प्रोग्राम को अपनाने से होगा और आज इसकी बुनियाद रखने का दिन है. अगर दिल्ली के 1 हजार प्रिंसिपल और 1 हजार ईएमसी कोऑर्डिनेटर अगर चाह लें तो ये काम हो जायेगा. और 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के सपने की बुनियाद हमारे स्कूलों में रखी जाएगी.
ईएमसी के विभिन्न घटकों के बारे में बोलते हुए, उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “ईएमसी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ताकि हर छात्र अपने नॉलेज को वास्तविक जीवन में उपयोग कर सके. उन्होंने बताया कि ईएमसी की इकाइयों में छात्रों के लिए एंटरप्रेन्योर्स की सफलता की कहानियों को साझा करने के साथ-साथ उन्हें बहुत सी एक्टिविटीज़ भी करने को दी जाती है. इसमें एक माइक्रो-रिसर्च प्रोजेक्ट भी शामिल है. इसके अंतर्गत बच्चे 5 एंटरप्रेन्योर व 5 नौकरी करने वाले लोगों से उनके पेशे से संबंधित प्रश्न पूछते है ताकि बच्चे ये समझ बना सके कि किस पेशे के क्या लाभ और क्या हानियां है. साथ ही अब बिजनेस ब्लास्टरर्स प्रोग्राम के तहत बच्चों को 2-2 हज़ार रुपयों की सीड मनी दी जाएगी. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य बच्चों को निवेश करने, उनके अंदर से बिजनेस शुरू करने का डर निकालने और प्रॉफिट कमाने के लिए तैयार करना है. सबसे महत्वपूर्ण बात कि यदि वे प्रॉफिट नहीं भी कमाते है तो वे अपने फेलियर का सामना करना सीखें.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में जोनल व डिस्ट्रिक्ट लेवल पर ईएमसी के अंतर्गत बिज़नेस ब्लास्टरर्स प्रोजेक्ट से 100 टॉप प्रोजेक्ट्स के साथ ईएमसी कार्निवाल का आयोजन किया जाएगा. इसे प्रसिद्ध सफल एंटरप्रेन्योर और विश्वविद्यालयों द्वारा बच्चों के मूल्यांकित किया जाएगा| इनमे टॉप 10 प्रोजेक्ट्स में शामिल बच्चों को एनएसयूटी और डीटीयू में बीबीए कोर्स में सीधे दाखिला दिया जाएगा.
कार्यक्रम में कालका जी की विधायक आतिशी मार्लेना, शिक्षा सचिव एच.राजेश प्रसाद, शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय, शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा के साथ चायोस के संस्थापक नितिन सलूजा, उद्यम ग्रुप के संस्थापक मेकिन महेश्वरी, गूँज के संस्थापक अंशुल गुप्ता शामिल रहे. इन प्रसिद्द एंटरप्रेन्योरर्स ने बच्चों से उनके प्रोजेक्ट्स के बारे में चर्चा की.