पुनरुत्थान संस्थान द्वारा आयोजित संस्कृतिनामा ऑनलाइन कार्यक्रम में दिल्ली की रहने वाली दो बहनों ने अपनी प्रतिभा का हुनर दिखाया। पुनरुत्थान संस्थान द्वारा संस्कृति नामा कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय संस्कृति की विरासत को भारत के तमाम लोगों तक पहुंचाने का एक सजीव प्रयास है। इस कार्यक्रम की शुरुआत डॉ नीरज कर्ण सिंह ने सरस्वती वंदना गाकर की। इस पहले संस्कृति नामा के कार्यक्रम में याना सुरेश व नाव्या सुरेश ने अपनी प्रतिभा की झलक दिखाई। यह दोनों बहने उभरती हुई कलाकार है। याना ने कथक की प्रस्तुति देकर सभी दर्शकों को चकित कर दिया। पुनरुत्थान के फेसबुक पेज पर यह कार्यक्रम लाइव प्रसारण हो रहा था।
याना द्वारा की गई कथक की मनमोहक प्रस्तुति को देखकर लोगों ने उसकी बहुत हौसला अफजाई की। उसके बाद याना ने मुकाबला गीत पर बॉलीवुड नृत्य प्रस्तुत किया गया। याना एमिटी इंटरनेशनल स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा है। इतनी कम उम्र में भारतीय सांस्कृतिक नृत्य को सीखने का प्रयास कर रही है। याना कलश्री कलामंडलम गुरु श्रीमती राधा मारर की शिष्या है। याना ने कई अंतर स्कूल नृत्य प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, भारतीय जनसंचार संस्थान के अलावा मयूर विहार में उत्तरा गुरुवायुरप्पन मंदिर और दिलशाद गार्डन में अयप्पा मंदिर सहित कई प्रमुख संस्थानों में प्रदर्शन किया। याना भरतनाट्यम की छात्रा है। वह कथक, पश्चिमी और बॉलीवुड शैली में अपने नृत्य नृत्य करती है। वह एक पशु प्रेमी, चित्रकार और गायिका है।
इस संस्कृति नामा कार्यक्रम में याना की बड़ी बहन नाव्या ने गणेश वंदना गाकर अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। उसके बाद उन्होंने राग वृंदावनी नारंग गाकर लोगों को अपनी प्रतिभा की झलक दिखाई। शब्दों और हारमोनियम का बेहतरीन तालमेल नाव्या द्वारा प्रस्तुत किया गया। आखिरी में गिटार पर सुशांत सिंह राजपूत को नमन करते हुए तेरी गलियां गाने की प्रस्तुति दी। नाव्या एमिटी इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा है। संगीत के साथ साथ हिंदुस्तानी और पश्चिमी वाद्य यंत्रों पर अपनी पकड़ बनाने का प्रयास कर रही है। नाव्या को गंधर्व महाविद्यालय और ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। कविता और पेंटिंग में भी रुचि रखती है।
दोनों बहने कहती है कि उनको भारतीय सांस्कृतिक नृत्य व गायन में रुचि परिवारिक माहौल के कारण हुई है। उन्होंने बताया कि वह ओडिशा से तालुकात रखते हैं। इस कार्यक्रम को लेकर पुनरुत्थान संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार ने कहा कि हम भारतीय संस्कृति की विरासत को भारत के कोने कोने में पहुंचाना चाहते हैं। डॉ दिलीप कहते हैं कि भारत की कुछ संस्कृतियाँ विलुप्त होने की कगार पर है। हमारे द्वारा चलाई जा रही इस संस्कृति नामा पहल के माध्यम से देशभर के युवा अपने राज्य व क्षेत्र की संस्कृति लोगों के साथ साझा करेंगे। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम करने का विचार उन्हें वरिष्ठ पत्रकार के जी सुरेश द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का समापन डॉक्टर नीरज करण सिंह ने एक देश भक्ति गीत गाकर किया।