मायानगरी में धारावी के स्लम क्लस्टर्स, सेंट्रल मुंबई में 300 एकड़ में फैला हुआ हैं, जो कमर्शियल हब बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और माहिम के पास हैं। ऐसे में यह एक प्राइम रियल एस्टेट प्रॉपर्टी है, जो इसे महत्वपूर्ण रिटेल वैल्यू का एक प्रमुख प्रोजेक्ट बनाता है।
धारावी केवल स्लम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट नहीं है यह उन लोगों की मानसिक स्थिति को बदलने का प्रोजेक्ट है जो हमेशा से गन्दगी में रहते आये हैं, खुद को भूख और गरीबी से बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत करते आये हैं।
धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के सीईओ एसवीआर श्रीनिवास ने एक इंटरव्यू में बताया कि, “एलओए जल्द ही जारी किया जाएगा लेकिन यह एक कठिन काम होगा, चूंकि धारावी अब कोई चुनावी वादे की तरह नहीं है, जिसे हर चार साल में दोहराया जा सके। जो वास्तविकता है वो सामने आ गई है और अब यह प्रोजेक्ट संभालने वाली कंपनी पर निर्भर करता है कि वह प्रोजेक्ट को गति में रखे और तय चीजों का वितरण सुनिश्चित करे।”
1985 की शुरुआत में, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बॉम्बे के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, इसका एक तिहाई हिस्सा धारावी के लिए आरक्षित था। लेकिन उस सिर्फ 27 इमारतें ही बनीं। यह अंश 33 करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा था। धारावी की स्लम पुनर्वास योजना अपेक्षा के अनुसार कार्य नहीं कर सकी और पूरी तरह विफल रही क्योंकि इसमें नई सड़कों, पानी, सीवेज और अन्य सुविधाओं के समग्र रूप से नियोजित शहरी विकास पर बहुत जरूरी जोर नहीं दिया गया था।
धारावी दशकों से महाराष्ट्र सरकार की पाइपलाइन में है क्योंकि यह विचार पहली बार 1997 में आर्किटेक्ट मुकेश मेहता द्वारा सुझाया गया था। राजनीतिक दलों ने हमेशा धारावी के निवासियों को बेहतर घर दिलाने का वादा किया है। लेकिन उनके वादे कभी पूरे नहीं हो सके।लेकिन धारावी अब बदल जाएगी। अदाणी रियल्टी तब एक सफल बोलीदाता के रूप में उभरा, जब उसने धारावी के रिडेवलपमेंट के लिए 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाई, जो डीएलएफ समूह द्वारा उसकी बोली में पेश किए गए 2,025 करोड़ रुपये से दोगुने से भी अधिक थी। इस प्रोजेक्ट के लिए तीन कंपनियों ने बोलियां जमा की थीं। महाराष्ट्र सरकार ने 1 अक्टूबर, 2022 को रिडेवलपमेंट वर्क के लिए एक टेंडर जारी किया था। इसमें भारत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और दक्षिण कोरिया की आठ कंपनियों ने रुचि दिखाई थी, लेकिन बोली जमा करने के समय तक संख्या घटकर महज तीन बची थी।
महाराष्ट्र कैबिनेट द्वारा अनुमोदित समयसीमा में कहा गया है कि एक बार प्राधिकरण पत्र जारी होने के बाद, कंपनी सरकारी इक्विटी के रूप में 100 करोड़ रुपये के साथ एक स्पेशल पर्पस व्हीकल बनाएगी। और तीन महीने के अंदर यह 500 करोड़ रुपये की पहली किश्त जारी करेगी।
महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही स्लम पुनर्वास प्राधिकरण को धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट में 300 करोड़ रुपये का योगदान देने का निर्देश दिया है। 45 एकड़ रेलवे भूमि के लिए रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी को अनुमानित 200 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। अन्य 100 करोड़ रुपये एसपीवी में डीआरपी की इक्विटी में लगाए जाएंगे। चूंकि एलओए अभी जारी नहीं हुआ है, इसलिए एसआरए द्वारा 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था की जाएगी। डीआरपी को एसआरए को 300 करोड़ रुपये वापस करने होंगे।
अहमदाबाद स्थित समूह के कुछ अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि समूह धारावी प्रोजेक्ट के लिए तैयारी कर रहा है। प्रोजेक्ट को दो हिस्सों में बांटा जाएगा, एक अनुमानित दस लाख लोगों का पुनर्वास है, और दूसरा सेल कॉम्पोनेन्ट है, जहां डेवलपर झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए अपने कंस्ट्रक्शन कॉस्ट्स और प्रॉफिट की वसूली करेगा।
अब सभी की निगाहें प्राधिकरण पत्र (एलओए) पर टिकी हैं। कंपनी के पास धारावी को बदलने के लिए सात साल की समय सीमा है, संभावना है कि समय सीमा को कुछ और वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है। पूरी तरह से रिडेवलपमेंट में लगभग 17 वर्ष लगने का अनुमान है।