सीतापुर।किसान दिवस २३ दिसंबर के अवसर पर लोक भवन में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में किसानों के साथ साथ कृषि विज्ञान केन्द्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे विशिष्ठ वैज्ञानिकों में वर्ष २०२३ हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र -२, कटिया, सीतापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ दया एस. श्रीवास्तव का चयन किया गया है
डॉ. डी एस श्रीवास्तव वर्तमान में केवीके-II, सीतापुर, यूपी में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं पौध संरक्षण के क्षेत्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की है तथा कृषि के क्षेत्र में 20 वर्षों से अधिक का अनुसंधान और विस्तार कार्य सेवा का अनुभव है, जिसमें से 17 वर्ष उत्तर प्रदेश में सेवा प्रदान की हैं। डा श्रीवास्तव ने पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और आईपीएम प्रथाओं को बढ़ावा देने और सीतापुर जिले में जैविक खेती के विकास के लिए आईपीएम राजदूतों की नई अवधारणा विकसित की है। उत्तर प्रदेश के जनपद सीतापुर में परम्परागत स्वदेशी तकनीकी ज्ञान के माध्यम से चूहा एवं दीमक प्रबंधन, चूसने वाले कीट हेतु स्व-निर्मित पीला चिपचिपा पाश निर्माण, नीलगाय से बचाव हेतु स्वदेशी ज्ञान तकनीकों का प्रदर्शन, जंगली खरगोश और जंगली सूअर प्रबंधन हेतु स्वदेशी तकनीक प्रदर्शित कर कृषको को जागरूक किया है। जनपद के 100 से अधिक गांवों में फसलों के गुप्त शत्रु सूत्रकृमि के प्रबंधन के लिए एकीकृत कृषि प्रबंधन पर जन जागरण कार्यक्रम आयोजित कर फसल लागत में कमी करते हुए 25 प्रतिशत फसल उत्पादकता बढ़ाने में योगदान दिया है।
जनपद सीतापुर के लगभग 350 हैकटेयर आम की खेती करने वाले 203 किसानों को फल मक्खी प्रबंधन के लिए फ्रूट फ्लाई ट्रैप का बृहद स्तर पर प्रदर्शन किया फलस्वरुप कृषकों की फसल उत्पादकता में वृद्धि के साथ सकल लाभ में ₹10,000 प्रति एकड़ में वृद्धि प्राप्त हुई।
भारत सरकार के किसान पोर्टल एम किसान के माध्यम से 1200 संदेश और 250 ध्वनि संदेश एकीकृत कीट प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान, फसल प्रबंधन व फसल सुरक्षा के निवारक उपायों पर जागरूक कर कृषकों को लाभान्वित किया है
पर्यावरण के अनुकूल संग्रहित अनाज कीट प्रबंधन के लिए प्रोब एवं पिटफाल ट्रैप का प्रदर्शन कर भंडार अनाजों में रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग में कमी लाते हुए लगभग 700 किसानों को लाभ पहुंचाया है
कृषकों के खेत में मित्र शत्रु अनुपात को संतुलित करने के लिए पारिस्थितिकी अभियांत्रिकी की अभिनव तकनीक के माध्यम से कीट नियंत्रण कर कृषकों के खेत पर जैव कीटनाशक संवर्धन, वनस्पति कीटनाशकों का प्रयोग एवं प्राकृतिक कृषि के अवयवों को प्रचारित एवं प्रसारित कर जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है।
कृषक उत्पादक संगठनों के पंजीकरण कराने, उचित मार्गदर्शन एवं निर्देशन प्रदान करते हुए विभिन्न आयामों की स्थापना कराई है।
जनपद सीतापुर में लाख की खेती को प्रथम बार स्थापित करते हुए 2 स्वयं सहायता समूह का गठन कर लाख संबंधित मूल्य संवर्धित उत्पाद निर्माण कार्य कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जनपद में उपलब्ध परंपरागत बीजों को संरक्षित करने एवं कृषको को उसका मालिकाना अधिकार दिलाने के उद्देश्य से जनपद सीतापुर के विभिन्न विकास खंडों से 175 पौध प्रजातियों (अनाज की 86, तिलहन की 21, दलहन की 31, सब्जियों की 20, मसाले की 8, फल पौधों की 3 एवं औषधीय पौधों की 6) को कृषकों के सहयोग से संकलित कर पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली में जमा कराया है जिसमें से दो किसानों को उनके पौधा किस्म का मालिकाना अधिकार प्राप्त हो चुका है।
डॉ श्रीवास्तव ने 10 विभिन्न संस्थानों डीएसटी, डीबीटी, आईसीएआर, नाबार्ड की परियोजनाओं को कुशलतापूर्वक संपन्न कराते हुए कृषकों की आजीविका बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही
एमएससी कृषि (फसल सुरक्षा) के 11 विद्यार्थियों को प्रधान सलाहकार के रूप में गाइड किया है जिसमें से चार विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है। डॉ श्रीवास्तव ने 37 अनुसंधान पत्र, 53 लघु शोध पत्र, 35 आकाशवाणी वार्ता, 13 दूरदर्शन वार्ता, 17 आमंत्रित व्याख्यान, 25 पॉपुलर आर्टिकल, 13 बुक चैप्टर, 5 प्रशिक्षण मैन्युअल, 3 एडिटेड मैन्युअल, 18 राष्ट्रीय प्रशिक्षण, 12 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन, 13 कार्यशाला एवं 100 से अधिक प्रसार साहित्य प्रकाशित कर एवं प्रतिभाग कर कृषकों को लाभ पहुंचाने में भूमिका निभाई है।
डॉ श्रीवास्तव को उनके उत्कृष्ट कार्यो के लिए युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी प्रमोशन अवार्ड, बेस्ट एग्री कम्युनिकेशन अवार्ड, ग्लोबल आईपीआर अवार्ड, बेस्ट एडवाइजरी सर्विस ऐट डिस्ट्रिक्ट लेवल,आउटस्टैंडिंग एग्रीकल्चर एडवाइजर अवार्ड , फेलोशिप अवार्ड , एंटरप्रेन्योर टीचर अवार्ड एवं 12 से ज्यादा एप्रिशिएसन कृषि के ख्यातिलब्ध संस्थानों से प्राप्त हो चुके हैं।