हर रूप में महिला की शक्ति असीम है-डॉ. नीरज कर्ण सिंह

मेरठ। हर किसी के जीवन में महिलाओं का योगदान होता है, इस बात से परिचित कराने के उद्देश्य से स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता एंव जनसंचार महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में शिक्षक से लेकर छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। महिलाओं को समर्पित इस दिन को सेलिब्रेट करने के साथ-साथ एक दूसरे को बधाइयां दी।

इसी मौके पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि गिरता हूं तो एक शब्द निकलता हैं, जब खुश होता हूं तो एक शब्द निकलता हैं, एक बछड़ा भूख के वक्त एक शब्द बोलता है, चिड़िया अपने जिसके इंतजार में एक शब्द बोलती है और वो मां है। मां अपार है, मां की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। मां के बाद बहन और मां और बहन के प्रतिरूप में बेटी होती है। मां, बहन और पत्नी के महत्व को कभी भुला नहीं जा सकता। महिलाओं के सम्मान पर बात करने की जरुरत नहीं बल्कि यह महसूस करने किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हम सबसे पहले अपने अधिकार के बारे में बात करते हैं। जबकि हर एक व्यक्ति का फर्ज़ होता है कि वह अपने दायित्व के बारे में बात करें। जिस दिन दायित्व के बारे में बात की जाएगी, उस दिन अधिकारों की बात खुद होगी। समाज का निर्माण खुद से है। आप जैसा परिवार चाहते हैं वैसा बनें, आप जैसा सम्मान चाहते हैं वैसा बनिए और आप जैसा राष्ट्र जाते हैं वैसा बनाइए।

इस मौके पर महाविद्यालय के प्राध्यापक मुदस्सिर सुलतान ने सामाजिक कार्यकर्ता सिंधु ताई के जीवन संघर्ष से परिचित करते हुए कहा कि महिला पुरुषों से ज्यादा शक्तिशाली होती है। बस जरुरत हैं तो उन्हें अपने शक्ति को पहचानने की।

इस अवसर पर बीजेएमसी तीतृय वर्ष की छात्रा जया कुमारी ने नारी के घर से लेकर कार्यशाला तक की सफर को बयां करती हुई अपनी कविता प्रस्तुति की। एमजेएमसी प्रथम वर्ष की छात्रा जोया अंसारी ने कहा की हम महिलाओं को पुरुष का ना केवल साथ चाहिए बल्कि सम्मान भी चाहिए जो हमें साथ खड़े रहने के लिए जरूरी है।

बीजेएमसी प्रथम वर्ष का छात्र अनुज तोमर ने कहा कि परमात्मा के बाद अगर किसी को पूजा जाता है तो वह महिला है। कोई भी पुरुष महिला की बराबरी नहीं कर सकता क्योंकि वह स्वयं सबसे ऊपर है। इस दौरान बीजेएमसी प्रथम वर्ष की छात्रा महविश जाकिर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम का औचित्य तभी है जब हर पुरुष महिलाओं को निजी जीवन में भी सम्मान देगा।

इस दौरान बीजेएमसी की साक्षी शर्मा, नीदा प्रवीण, ताशी गौतम, लक्की शर्मा, सलोनी कश्यप, अलीशा जैकब, सिकेब मजीद, आकृति, मुजाहिद तथा एमजेएमसी की सीमा डबास अंजु तौंगर, लवी शर्मा, नदीम माल्या सहित अन्य विद्यार्थियों ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का मंच संचालत लक्की शर्मा ने किया। इस दौरान प्राद्यापक गुंजन शर्मा, बिनम यादव, प्रीति सिंह ने भी महिला के महत्व एवं सशक्तिकरण से छात्रृछात्राओं से अवगत कराया।

News Reporter
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