श्यामलाल शुक्ल/गोंडा। गोंडा जिला चिकित्सालय में नियुक्त चिकित्सक और डिप्टी सीएमओ का अपनी ड्यूटी पर न रहकर प्राइवेट अस्पताल चलाने का स्टिंग किये जाने पर अपने रसूख का इस्तेमाल करके जहाँ कार्यवाही से बच रहे हैं वहीं भ्रष्ट जिला प्रशासन की आंख में धूल झोंक कर मामले को दबाने के उद्देश्य से स्टिंग ऑपरेशन करनेवाले पत्रकारों के खिलाफ ही झूठी एफआईआर दर्ज करा दी गई है। जिलाधिकारी के सह पर सरकारी अस्पताल की बजाय अपना प्राइवेट नर्सिंग होम चलाने वाले डाॅक्टर मलिक आलमगीर पर कोई कार्यवाई नहीं हो रही है।
बताया जा रहा है कि डीएम गोंडा और डिप्टी सीएमओ में काफी याराना है जिसकी वजह से डीएम ने डाॅक्टर मलिक आलमगीर को बचाकर रखा है और मामला दबाने में लगे हैं। डिप्टी सीएमओ व जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर मलिक आलमगीर जो सरकारी अस्पताल के बने अपने ओपीडी में महीनों तक नहीं दिखता लेकिन वह अपने निजी नर्सिंग होम में 24 घंटे सेवाएं देते हुए मिल जाता है। डॉक्टर मलिक आलमगीर गोंडा जिला अस्पताल के क्षय रोग विशेषज्ञ के तौर पर भी तैनात है जिनकी ड्यूटी का समय सुबह 8:00 बजे से लेकर 2:00 बजे तक है लेकिन मुश्किल से अपने ओपीडी में मिलता है जिससे गरीब मरीज जो सरकारी अस्पताल में आता है उनका इलाज नहीं हो पाता। अस्पताल में डॉक्टर साहब की नामौजूदगी होने से गरीब जनता प्राइवेट अस्पतालों का रुख करती है और अपने इलाज के लिए मुंह मांगा दाम खर्च करती है।
जिलाधिकारी गोंडा डाॅ. नितिन बंसल और सीएमओ की सह पर जिला चिकित्सालय में चल रहा भ्रष्टाचार का खेल
आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार कब तक भ्रष्ट अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालेगी ? इसी तरह मिर्जापुर में मध्यान भोजन में नमक रोटी की खबर पर पर्दा डाला गया था। जिला प्रशासन के तमाम समीक्षा बैठकों में जिलाधिकारी गोंडा डा नितिन बंसल को खामियां ही खामियां मिलीं लेकिन अभी तक किसी पर कोई कठोर कार्यवाही नहीं की गई जबकि जिलाधिकारी स्वयं एक चिकित्सक होने के नाते विभागीय व्यवस्था से सुविज्ञ हैं जिले की चाहे प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था हो या जिला स्तरीय आम जनता के लिए दुरूह है या तो जिलाधिकारी गोंडा सरकार के सुशासन नीति को समझ नहीं पा रहे हैं या समझ कर उस अनुरूप कोई कार्य नहीं करना चाहते।
कमीशन की बंदरबांट नहीं होने से 5 दिन तक खडा़ था ट्रक।
यही नहीं जिला चिकित्सालय परिसर में करीब 15 लाख की दवाओं से लदा ट्रक बारिश में भीग रहा था और उस ट्रक के दवाओं की डिलीवरी लेने के लिए ट्रांसफर हो चुके एक अधिकारी का इंतजार किया जा रहा था। सूत्रों से पता चला है कि जीवन रक्षक कीमती दवाओं और सर्जिकल सामानों की डिलीवरी सिर्फ इसलिए नहीं ली गई कि कमीशन की बंदरबांट नही हो पाई थी।
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