गोण्डा/बारिश का मौसम आते ही गोंडा के बाढ़ क्षेत्र में होने वाले बाढ़ से तबाही का मंजर एक बार फिर दिखने लगा है।शासन – प्रशासन के लाख दावों के बावजूद यहाँ के लोंगों के मन से बाढ़ की विभीषका का खौफ नहीं निकल पा रहा है। हर साल घाघरा नदी में आये पानी के सैलाब से बांध टूट जाता है जिस कारण नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ जाते है और लाखों की संख्या में ग्रमीणों को अपना घर बार छोड़ कर भागना पड़ता है।इन ग्रामीणों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है।
बाढ़ के कारण लोंगों को अपनी जान भी गवानी पड़ती है कुछ ऐसा ही मंजर प्रदेश के 23 जिलों में देखने को मिलता है। आज बाढ़ से होने वाले जन- धन नुकसान से बचने के लिए व बचाव राहत कार्य का मॉकड्रिल प्रदेश के 23 जिलों के साथ गोंडा में भी किया गया। इस मॉकड्रिल का जायजा जिलाधिकारी व एसपी ने जिले के आलाधिकारियों के साथ लिया।इस मॉकड्रिल में बाढ़ में डूब रहे लोंगों का रेस्क्यू भी किया गया। डीएम प्रभांशु श्रीवास्तव ने कहा बताया कि बाढ़ आने के बाद किस को क्या काम करना है इसका सभी विभाग के अधिकारियों को मॉकड्रिल करके बताया गया।
आपको बता दें कि घाघरा नदी से सटे सैकड़ों गांव जो हर साल बाढ़ में पूरी तरह तबाह हो जाते है इन गांवो में रहने वाले ग्रामीणों को इस सरकार से पूरी उम्मीद थी कि इस बार नदी के तट पर पक्का बांध बन जायेगा और हर साल आने वाले बाढ़ की तबाही से उन्हें निजात मिल जाएगी।यह ग्रामीणों को भाजपा सरकार के मंत्रियों के एक के बाद एक दौरे व मंत्रियो के आश्वासन से जागा था।
एक साल में यहाँ पर प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों ने दौरा किया इनमें कैबिनट मंत्री स्वाति सिंह, धर्मपाल सिंह और उपेंद्र तिवारी शामिल है लेकिन मंत्रियों के दौरों के बाद भी यहां के हालात में कोई परिवतर्न नहीं दिख रहा है।ग्रामीणों को अभी से ही बाढ़ से होने वाले खतरे का आभास हो रहा है जिसकी चिंता उनकी आंखों में साफ दिखाई दे रही है।बाढ़ की विभीषका को रोक पाने में फेल गोंडा प्रशासन अब मॉकड्रिल का सहारा ले रहा है जिससे साफ जाहिर है कि बाढ़ के आने से पहले ही प्रशासन ने घुटने टेक दिए हैं |