नैमिष शुक्ला। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में रेउसा थाना क्षेत्र में लगातार दिन-रात की पहाड़ी मैदानी क्षेत्रों में हो रही बारिश तथा बैराजों से डिस्चार्ज लाखो क्योसेक पानी का नजारा गांजरीय इलाके की घाघरा/शारदा नदियों के जल स्तर में हो रही बढ़ोतरी से देखने को मिलने लगा।घाघरा/शारदा के जल स्तर में कमी नाम मात्र की देखने को मिल रही । परन्तु कटान में कोई कमी नही।जिससे ग्रामीणों में हड़कम्प मंचा हुआ है।
बुधवार को एक लाख सरसठ हजार क्योसेक पानी छोड़ा गया।7 गांव/रास्ते में पहले से ही घिरे थे।तटीय इलाके के नाले पूर्व से ही उबाल खा रहे है।करीब 20 गांवो के पास नदियों का जलस्तर ऊंची ऊँची लहरों में हिलोरे मारता नजर आ रहा है । कई हजारो बीघा फसल लगी जमीन तटीय इलाके की जलमंगन हो चुकी । शेष जमीनो पर पानी दौड़ने के कगार पर है।चारे की समस्या अभी से लोगो को होने लगी । जब कि भीषण बाढ़ अभी आना बाकी है।ताहपुर,भदिमर पुरवा, मेवड़ी छोलहा,कोनी के करीब में कटान काफी तेज है।हजारो की तादात में जमीनें स्थानीय लोगो की बाढ़ में समा गई । कई घर कोनी, पासिन पुरवा, भदिमर,धूसे पुरवा जैसे गांव के नदियों की परवाना चढ़ चुके है।लोगो मे तबाही का मंन्जर से भय व्याप्त हो जाता है।ग्रामीण खौप खाये हुए है।
जब कि प्रशासन बाढ़ जैसे हालातो से इनकार /नदियों के जलस्तर की स्थिति सामान्य मॉन रहा है।समय आने पर युद्ध स्तर पर कार्य,राहत बांटने का दावा कर रहा है।प्रभावित इलाके के बाशिन्दों की माने तो प्रसासन के सभी दावे खोखला सावित हो रहे।नदियों के जलस्तर को घटते-बढ़ते देख लोग सड़को पर पलायन कर रहे।बंजारों जैसे जीवन जीने को मजबूर हो रहे।रास्तो पर भरे बाढ़ के पानी का गरस्मीन मंजर झेल रहे।।गाजर की दोनो नदिया खतरे की घण्टी बजा रही है । तहसीलदार ने बताया बुधवार को एक लाख सरसठ हजार क्योसेक पानी छोड़ा गया।पूर्व की अपेक्षा बैराजों से पानी कम छोडा जा रहा।जिससे नदियों के जलस्तर में कमी होती नजर आ रही।लगातार बारिश होना नदियों के जलस्तर में वृद्धि है।पर ये कोई खास असर नही डालता।जितना छोड़ा गया पानी।तटीय लोगो के मुसीबत का विषय जरूर है।क्षेत्र में हम खुद दौरा कर नजर रखी जा रही।बाढ़ में लगे स्थानीय कर्मचारी जमीनो,बाढ़ में समाये घरों का आंकलन कर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश जारी कर सर्वे कराया जा रहा।