दिल्ली से बीते सोमवार को SBI के चेयरमैन प्रतीप चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया हैं। उनपर जो आरोप है वो हैरान करने वाला हैं।
राजस्थान के गोडावण ग्रुप हैं जो होटल चैन चलाता हैं। इस ग्रुप ने साल 2008 में SBI से 24 करोड़ रूपये का लोन लिया था। लोन नए होटल बनाने के लिए लिया गया था। होटल्स अछि तरह चलने के चलते इस ग्रुप को लोन दे दिया गया था। बाद में इस ग्रुप की हालत ख़राब हो गयी। जिसके बाद इस ग्रुप ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया। और जो लोन था वो एनपीए में बदल गया। SBI ने इस ग्रुप में होटल्स को ज़प्त करने का फैसला किया। लेकिन कहानी शुरू होती यहां से उस दौरान SBI के चेयरमैन थे प्रतीप चौधरी।
प्रतीप चौधरी ने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए इस ग्रुप की होटल्स को बिना नीलामी की प्रक्रिया के बजाय Alchemist ARC Company को 24 करोड़ में बिकवा दिया। Alchemist ARC Company को 2016 में ये होटल्स हैंडओवर किया गया। लेकिन जब 2017 में इन होटल्स का मूल्यांकन हुआ तब दिमाग तब चकरा जाता हैं। मूल्यांकन से पता चलता हैं कि, इन होटल्स का मार्किट प्राइस 160 करोड़ रूपये था। और आज इसकी कीमत 200 करोड़ रूपये हैं।
दिलचस्प बात हैं कि, 2011 से 2013 तक चेयरमैन पद पर बने रहने के बाद चौधरी साहब रिटायर होने के बाद, Alchemist ARC Company में बतौर डायरेक्टर बन जाते हैं।
मामला सामने आने के बाद गोडावण ग्रुप के खिलाफ जोधपुर के अदालत में केस दायर किया गया। जिसके बाद अदालत ने SBI के चेयरमैन प्रतीप चौधरी को दोषी माना। और आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (लोक सेवक, बैंकर द्वारा आपराधिक विश्वासघात ), और 120 बी (आपराधिक साजिश की सजा) के तहत गिरफ्तारी का वारंट जारी किया। जिसके बाद बीते सोमवार को इन्हे गिरफ्तार कर लिया गया।
लेकिन यहां गौर करने वाली बात हैं कि, क्या प्रतीप चौधरी ऐसे अकेले इंसान हैं जो अपने पद से रिटायर होने के बाद किसी निजी कंपनी से जुड़ गए हैं ? जवाब है नहीं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई को कैसे भुला जा सकता हैं। जब अपने मुख्य न्यायधीश के पद से हटने के बाद सीधे राज्य सभा के सदस्य बन गए थे।
प्रतीप चौधरी के रिटायर होने के बाद SBI का चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य को बनाया गया था। लेकिन अब यह जानकार हैरानी नहीं होती कि, चेयरमैन के पद पर रहते हुए अरुंधति भट्टाचार्य इन सभी से एक कदम आगे रही। अरुंधति भट्टाचार्य ने साल 2017 में SBI के चेयरमैन का पद छोड़ा था। इसके बाद अरुंधति भट्टाचार्य 7 भारतीय कंपनियों में बतौर डायरेक्टर के पद पर काम किया। अरुंधति भट्टाचार्य के इतने लम्बे हाँथ मारने के बाद प्रतीप चौधरी को अफ़सोस तो ज़रूर होता होगा कि मैंने तो एक ही कंपनी ज्वाइन की और इसने तो सात कंपनी ज्वाइन कर ली।
इन्ही सब मेहनतकश अफसर के बदलौत ही तो आज देश का बट्टा खाता भरा हुआ हैं। और देश इनकी की कारनामों से आज बर्बादी के कगार पर पहुंच चूका हैं। पूरे देश का पैसा खा के बैठे हैं ये काबिल अफसर।