सुधांशु पुरी/ संतोष दिक्षित
सीतापुर। यदि आप किसी बीमारी से रात में परेशान हो गए हैं या फिर रात में यदि किसी का हाईवे पर एक्सीडेंट हो जाए तो आपका सिधौली अस्पताल आना अपना समय बर्बाद करना ही होगा यह हम नहीं कह रहे यह तस्वीरें बयां कर रही हैं सिधौली अस्पताल की।
हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार गरीब मरीजों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं होने का दावा तो कर रही है और समय-समय पर अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी देती रहती है लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
मामला उत्तर प्रदेश के जनपद सीतापुर के सिधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है वैसे तो यह सीएचसी एफआरयू है। जिसका अर्थ यह है कि यहां प्रत्येक बीमारी का डॉक्टर मौजूद है और ज्यादा से ज्यादा संख्या में मरीज इस अस्पताल में आते हैं और यह यूनिट जनपद की सभी सीएचसी में सबसे बेहतर दिखाई भी देती है। लेकिन असल में हकीकत कुछ और ही है।
नमामि भारत द्वारा जब कल देर रात सीएचसी सिधौली में व्यवस्थाओं की पड़ताल की गई तो सामने आया कि यहां कोई भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। एक फार्मासिस्ट और वार्ड बॉय के सहारे यह एफआरयू अस्पताल रात को संचालित होता है जोकि मरीजों का इलाज करती है ।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि या सीएचसी सिधौली राजधानी लखनऊ से महज 45 किलोमीटर दूरी पर हाईवे पर स्थित है और देर रात दुर्घटनाग्रस्त लोग इस सीएचसी पर आते हैं लेकिन डॉक्टर ना होने की वजह से यहां के फार्मासिस्ट उन्हें लखनऊ ट्रामा सेंटर या जिला अस्पताल सीतापुर में रेफर कर देते हैं।
- ऐसा नहीं है कि इस अस्पताल में डॉक्टरों की कोई ज्यादा कमी है और रात को डॉक्टरों की ड्यूटी नहीं लग सकती बल्कि कागजों पर डाक्टरों की ड्यूटी तो लगती है लेकिन वह देर शाम होते ही अपने घर लखनऊ लौट जाते हैं वही मरीज बेहद परेशान हैं जब हमने अस्पताल की पड़ताल की तो अस्पताल का इमरजेंसी डॉक्टर नदारद मिला और मरीजों का इलाज फार्मासिस्ट करते नजर आ रहे थे ।
जब इस बाबत हमने फार्मासिस्ट अनूप श्रीवास्तव से बात करें तो उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर ड्यूटी पर हैं वही जब अस्पताल में मौजूद मरीजों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शाम के बाद कोई डॉक्टर देखने नहीं आया और इमरजेंसी के बाहर जो मरीज बैठे हुए थे वह डॉक्टर के आने का इंतजार कर रहे थे और दर्द से तड़प रहे थे लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। अब जब सीतापुर जनपद की एफ आर यू यूनिट सीएचसी सिधौली का यह आलम है तो दूरदराज इलाके की और ग्रामीण इलाकों की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का क्या हाल होगा यह सोचने वाली बात है