मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। महाकवि कालिदास की कालजयी रचना अभिज्ञान शाकुन्तलम की रचना भूमि बिजनौर उत्तर प्रदेश में पतित पावनी गंगा का प्रवेश द्वार है। सोमवार को बिजनौर ऐतिहासिक गंगा की पहली यात्रा का साक्षी बना जिसका शुभारंभ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। मकसद था लोगों को गंगा की महत्ता के प्रति जगरूक करना। यह बताना की गंगा सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी है। हालांकि सुबह का मौसम प्रतिकूल था। आसमान पर बादलों का और धरती पर कोहरे का पहरा था। रह-रह कर सूरज बादलों की ओट से झांक लेता था। मानो लोगों के सब्र और उत्साह की परीक्षा ले रहा हो। इधर गंगा की गोद में बैठे लोगों का उत्साह हिलोरे मार रहा था। गाय और गंगा को बचाने के संकल्प के साथ भारत माता और गंगा मईया जय के नारे आसमान में गूंज रहे थे।अन्ततः सूरज ने उत्साही भीड़ के आगे हार मान ली। करीब 1 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम स्थल पर आए। उन्होंने हरिद्वार से आये ‘’गंगा सभा आरती’’ के पंडितों के साथ विधिवत मां गंगा का पूजन किया।लोगों के बीच आकर उनको गंगा की अहमियत बताते हुए इसे अविरल और निर्मल बनाने का संकल्प दिलाया। साथ ही मुजफ्फरनगर (रामराज) होते हुए मेरठ हस्तिनापुर के लिए रवाना हो गये।इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान, जनरल वीके सिंह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा, कपिल देव अग्रवाल बलदेव सिंह औलख, विजय कश्यप समेत स्थानीय जनप्रतिनिधि और गणमान्य लोग मौजूद रहे।