गोण्डा नगर पालिका भू माफियाओं के लिए वरदान बनता जा रहा है। शहर के अंदर की जमीनों पर गिद्ध जैसी नजर गड़ाए बैठे भू माफियाओं के साथ नगर पालिका का साठगांठ ऐसा है कि जिलाधिकारी कार्यालय तक नजूल जमीन की जानकारी होने पर भी उसे डीएम के नाक के नीचे से उड़ा ले जाते है। करोडों की सरकारी जमीन बेची जाती है और उसके रूपयों का बन्दरबांट ऊपर से लेकर नीचे तक किया जाता है। ऐसे ही एक बेशकीमती जमीन गोण्डा लखनऊ मार्ग पर स्थिति है उसको भी नगर पालिका के ईओ ने भू माफियाओं से मिलकर बेचवानी शुरू कर दी है। जिसकी शिकायत नगर पालिका के पूर्व चैयरमेन रूपेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ निर्मल ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश से की है।
भू माफियो के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात कहने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोण्डा में धड़ल्ले से चल रहे भू माफियाओं के जाल को तोड़ने में नाकाम हो रहे है। यहां भू माफियाओं का साथ दे रहे है नगर पालिका के ईओ…जो पहले तीन तीन पत्र लिखकर जिला प्रशासन को नजूल जमीन की जानकारी उपलब्ध कराते है और चौथे पत्र में नजूल जमीन को भू माफियाओं के नाम रजिस्टर करने रास्ता दिखा देते है। जमीन गोण्डा के पंतनगर इलाके में है जो लखनऊ मार्ग पर है।
गाटा संख्या 83 व 84 /2 की जमीन जो 2005 तक बिलकिस फातिमा के नाम पट्टा थी…2005 के बाद 2018 तक इस जमीन पर पट्टे का नवीनीकरण के लिए कोई भी आवेदन नहीं किया गया। जिसके बाद नगर पालिक ईओ विकास सेन ने पहली बार 2 मई 2018 को पहला पत्र तत्कालीन जिलाधिकारी को लिखकर जमीन को अपने कब्जे में लेकर सरकारी काम मे लगाने की बात कही। तत्कालीन डीएम कार्यालय द्वारा इस संबंध में कोई भी उचित निर्देश ईओ को नहीं दिया गया। इसके बाद दो बार ईओ द्वारा पत्र जिला प्रशासन को भेजा गया इनमें एक पत्र जिलाधिकारी व दूसरा पत्र सिटी मजिस्ट्रेट को भेजा गया।
इन दोनों पत्रों में भी जमीन की सूचना देते हुए ईओ ने जमीन को प्रशासन द्वारा कब्जे में लेने की बात कही गई और साथ मे बताया गया कि कुछ लोग फ़र्ज़ी तरीके से इस जमीन को बेचना चाहते है। इसके बाद भी जिला प्रशासन ने कोई निर्देश ईओ को नहीं दिया गया।
लेकिन चौथा पत्र जो रजिस्ट्रार कार्यालय को भेजा गया उसमें ईओ की मंशा को उजागर कर दिया। यह पत्र एक आख्या है। रजिस्ट्रार द्वारा जब गाटा संख्या 83 व 84/2 के बारे जानकारी मांगी गई तो ईओ ने आख्या देते हुए बताया कि इस जमीन का पट्टा फातिमा बिलकिस के नाम दर्ज है। ईओ विकास सेन द्वारा दिए गए आख्या के बाद से ही भू माफियाओं का खेल शुरू हो गया। और अब इस जमीन की प्लाटिंग कर दो लोगों को फर्जी तरीके से बैनामा कर दिया गया है। वही इस पूरे मामले पर सत्ता के सरक्षण में बैठे ईओ विकास सेन ने अहंकार में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन भी नहीं किया।