यज्ञ चतुर्वेदी
गोण्डा में पटटे की जमीन के विवाद को लेकर प्रधान व लेखपाल की दबंगई का वीडियो सामने आया है. प्रधान व लेखपाल ने मिलिभगत कर बिना किसी लिखित आदेश पर ही एक गरीब का छप्पर से बना घर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ध्वस्त कर दिया। यही नहीं पीड़ित ने बताया प्रधान व लेखपाल ने गुंडई करते हुए उसके छप्पर में आग लगा दी। पीड़ित ने इसकी शिकायत डीएम से लेकर मुख्यमंत्री से की है। बिना किसी प्रशासनिक आदेश के इतनी बड़ी कार्रवाई की बात जब एसडीएम को पता चली तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जायेगी और पीड़ित को उसका पट्टा उसे दिलाया जायेगा। मामला कर्नलगंज तहसील के सुभागपुर गांव का है।
निचली अदालत या उच्च अदालत हो कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी तब तक कार्रवाई नहीं करते है जब उन्हें कोर्ट द्वारा फटकार न लग जाए। लेकिन गोण्डा में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें सिर्फ मौखिक आदेश पर दबंग प्रधान व भ्रष्ट लेखपाल ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक गरीब का घर उजाड़ दिया। कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के सुभागपुर गांव के रहने वाले रुद्र नारायण शुक्ला ने बताया कि उन्हें 1993 में गाटा संख्या 1776 में पट्टा मिला था, जिसके बाद वह 1995 से अपने परिवार के साथ छप्पर का मकान बना रह रहे थे। कुछ महीने पहले गांव के प्रधान ने उनसे कहा कि जहाँ वह रह रहे है वह उनके पट्टे की जमीन नहीं है उसे खाली कर दे। जिसके बाद पीड़ित ने जहाँ पट्टा है वहां जमीन देने की मांग की, लेकिन उसे पट्टा नहीं दिया गया। ग्राम प्रधान विश्वनाथ ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए कर्नलगंज एसडीएम ज्ञानचंद गुप्ता से लेखपाल से मिलकर मौखिक आदेश ले लिया। इसके बाद प्रधान व लेखपाल ने अपने सहयोगियों व बिना किसी लिखित आदेश के पुलिस को साथ लेकर मौके पर पहुँचे और गरीब का छप्पर घर गिरा दिया।
मौखिक आदेश पर हुई इस कार्रवाई पर पीड़ित ने इसकी शिकायत गोण्डा जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक की है। लेकिन अभी तक कही भी कोई भी सुनवाई नहीं हुई है। वही एसडीएम अब अपने दिए गए मौखिक आदेश से बच रहे है, तहसील में पीड़ित की पत्रावली न होने की बात कह रहे है। जब कि इसी तहसील से जब पीड़ित ने अपने पट्टे की जमीन का नक्शा व प्रमाण पत्र मांगा तो पीड़ित को नक्शा व प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया गया। अगर तहसील में पत्रावली नहीं है तो प्रमाण पत्र क्यों दिया गया? बरहाल एसडीएम कर्नलगंज अब जांच के बाद पैमाईश कर पीड़ित को पट्टा दिलाने की बात कह रहे है।