शिवानन्द मिश्रा
उत्तर प्रदेश के गोंडा में विकास कार्य कराए जाने के नाम पर 36 लाख रुपये का घोटाला सामने आया है। गांव के प्रधान, सेक्रेटरी व सफाई कर्मचारी ने मिलीभगत कर के बिना काम कराए सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया। घोटाले की शिकायत का संज्ञान लेते हुए डीएम मार्कण्डेय शाही ने इस ग्राम पंचायत में हुए भुगतान की जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है और 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट तलब की है।
विकास कार्य के नाम पर फर्जी भुगतान का यह मामला वजीरगंज ब्लाक के जगदीशपुर कटरा गांव का है जहां ग्राम प्रधान,सचिव व रोजगार सेवक ने मिलीभगत कर करीब 36 लाख रुपये का घोटाला कर डाला। मटेरियल खरीद के नाम पर एक प्राइवेट फर्म को 9.22 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया तो हैंडपंप रिबोर कराने के नाम पर भी 4 लाख रुपये निकाल लिए गए।
इसी तरह सरकारी स्कूल में स्थल विकास दिखाकर 3.50 लाख,सोकपिट निर्माण में 5.59 लाख व कागजों में खड़ंजे की मरम्मत दिखाकर 2.67 लाख रुपये का गोलमाल कर लिया गया। गांव के ही रहने वाले शिवगणेश ने इस पूरे मामले की शिकायत डीएम से की है। शिकायतकर्ता का कहना है बिना काम कराए ही लाखों रुपए का गबन किया गया है कागजों में काम दिखा कर पैसा निकाल लिया गया है जबकि गांव में कोई भी काम नहीं हुआ है।
डीएम मार्कण्डेय शाही ने इसे गंभीरता से लेते हुए 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है और इस पूरे फर्जीवाड़े की रिपोर्ट 15 दिन के भीतर तलब की है। डीएम मार्कण्डेय शाही का कहना है कि वजीरगंज ब्लाक के एक ग्राम पंचायत में 36 लाख रुपये के अनियमित भुगतान का मामला सामने आया है। इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।