तृप्ति रावत/ मशहूर गीतकार गोपालदास नीरज का 93 साल की उम्र में निधन हो गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में गोपालदास ने आखिरी सांस ली। शाम 7 बजकर 35 मिनट पर उनका निधन हुआ। उनके बेटे शशांक प्रभाकर ने बताया कि आगरा में प्रारंभिक उपचार के बाद उन्हें बुधवार को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। लेकिन डॉक्टरों के इतने प्रयास के बावजूद भी उन्हें बचाया न जा सका। शशांक ने बताया की उनके पार्थिव शरीर को पहले आगरा में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा और उसके बाद अलीगढ़ ले जाया जाएगा। जहां पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
गोपालदास नीरज समान रूप से बॉलीवुड फिल्मों में, हिंदी साहित्य में और मंचीय कवि के रूप में प्रसिद्ध रहे। उनके लिखे प्रसिद्ध फिल्मी गीतों में शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, लिखे जो खत तुझे, ऐ भाई.. जरा देखकर चलो, दिल आज शायर है, खिलते हैं गुल यहां, फूलों के रंग से, रंगीला रे! तेरे रंग में और आदमी हूं- आदमी से प्यार करता हूं शामिल हैं।
साल 1991 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्हें साल 2007 में पद्मभूषण दिया गया। यूपी सरकार ने यशभारती सम्मान से भी नवाजा। ‘कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे’ जैसे मशहूर गीत लिखने वाले नीरज को उनके बेजोड़ गीतों के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला है। ‘पहचान’ फिल्म के गीत ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’ और ‘मेरा नाम जोकर’ के ‘ए भाई! ज़रा देख के चलो’ ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया। उनके एक दर्जन से भी अधिक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनका जन्म 4 जनवरी, 1924 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुए था। उन्हें 1970, 1971, 1972 में फिल्म फेयर अवॉर्ड मिले।
गोपालदास नीरज के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट कर दुख व्यक्त किया गया।
प्रख्यात कवि श्री गोपाल दास ‘नीरज’ जी के निधन पर गहरा दुःख हुआ। नीरज जी ने अपनी काव्य रचनाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। उन्हें भावनाओं और अनुभूतियों को व्यक्त करने में दक्षता हासिल थी। हिन्दी फिल्मों के लिए नीरज जी द्वारा लिखे गए गीत आज भी लोकप्रिय हैं।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 19 July 2018
बता दें कि शुरुआत में इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया उसके बाद सिनेमाघर की एक दुकान पर नौकरी की। लम्बी बेकारी के बाद दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की। वहां से नौकरी छूट जाने पर कानपुर के डीएवी कॉलेज में क्लर्की की। उन्होंने मेरठ कॉलेज में हिन्दी प्रवक्ता के पद पर कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया। कवि सम्मेलनों में लोकप्रियता के चलते नीरज को मुंबई के फिल्म जगत ने गीतकार के रूप में काम करने का मौका मिला।