आज दिनांक 07-06-2019 दिन शुक्रवार को महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र पर हरा चारा उत्पादन तकनीकी पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया प्रशिक्षण के दौरान हरे चारे के लिए ज्वार के बीज का वितरण किया गया। प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टर विवेक प्रताप सिंह, पशुपालन विशेषज्ञ ने बताया कि गर्मियों में अधिकतर पशु चारा खाना कम कर देता है, खाने में अरुचि दिखता है तथा पशु को बदहजमी हो जाती है। इस समय पशु को पौष्टिक आहार न देने पर अपच व कब्ज लगने की संभावना होती है। अधिक गर्मी होने पर कई बार पशु मुंह खोलकर साँस लेता है जिससे उसकी लार बाहर निकलती रहती है।
साथ ही पशु शरीर को ठंडा रखने हेतु शरीर को चाटता है जिससे शरीर में लार कम हो जाती है। एक स्वस्थ पशु में प्रतिदिन 100-150 लीटर लार का स्त्रवण होता है जो रुमेन में जाकर चारे को पचाने में मदद करती है। लार के बाहर निकल जाएं पर रुमेन में चारे का पाचन प्रभावित होता है जिससे गर्मियों में अधिकतर पशु अपच का शिकार हो जाता है। जिसके कारण
पशु का कम राशन लेना या बिलकुल बंद कर देना।
पशु का सुस्त हो जाना। गोबर में दाने आना। उत्पादन का प्रभावित होना। अपच से बचाव हेतु पशु को हर्बल दवा रुचामैक्स की 15 ग्राम मात्रा दिन में दो बार 2-3 दिनों तक देनी चाहिए। पशु को उस्सकी इच्छानुसार स्वादिष्ट राशन उपलब्ध करवाएं। आजकल पशुपालकों के पास भूसा अधिक होने से वह अपने पशुओं को भूसा बहुतायत में देते हैं ऐसे में पशुओं का हाजमा दुरुस्त रखने एवं उत्पादन बनाएं रखने हेतु पशु को रुचामैक्स की 15 ग्राम मात्रा दिन में दो बार 7 दिनों तक देनी चाहिए। इससे पशु का हाजमा दुरुस्त होगा और दुग्ध उत्पादन भी बढ़ता है। साथ ही डॉ सिंह ने पशुओं में आहार प्रबंधन वर्षभर हरा चारा उत्पादन हेतु तकनीकी एवं पशुओं में होने वाली बीमारियों से बचाव हेतु उपाय बताया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ने फसलों में रोग कीट के नियंत्रण के बारे में किसानों को बताया कार्यक्रम में संदीप प्रकाश उपाध्याय विशेषज्ञ मृदा विज्ञान एवं अवनीश सिंह विशेषज्ञ शस्य विज्ञान ने किसानों को मृदा जांच की उपयोगिता एवं फसल संबंधी जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में चौक माफी, भक्सा, बढ़या चौक, राखुखोर, पचगांवा, ठकुरापार एंव थवईचा से 28 किसान प्रशिक्षण में भाग लिए।