नई दिल्ली। अटल जी के नाम पर संस्थान का नामकरण करने से हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं होती, हमें उनके पदचिन्हों पर चलना होगा और हमारी प्रतिबद्धता को उनके निहित स्वभाव और विरासत को प्रतिबिंबित करना चाहिए। यह बात राम मनोहर लोहिया के अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के उद्घाटन के समय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा । शुक्रवार को अश्विनी कुमार चौबे, एमओएस (एचएफडब्ल्यू), अनिल बैजल, उपराज्यपाल, संसद सदस्य मीनाक्षी लेखी और लंबे समय के सहयोगी और श्री अटल जी के साथी शिव कुमार जी,तथा बीजेपी के युवा नेता तथा राम मनोहर लोहिया हाॅस्पिटल में काउंसलर बरुण कुमार पांडे की उपस्थिति में संस्थान में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक और नए डॉक्टरों के छात्रावास की नींव रखी गई।
डॉ हर्षवर्धन ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह पहल हमारे प्यारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की राजनीतिक प्रतिबद्धता, दूरदर्शिता और मार्गदर्शन को दर्शाती है, जो न केवल देश में स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाने के साथ-साथ सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की उपलब्धता सुनिश्चित करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री 2022 तक न्यू इंडिया प्राप्त करने के लिए दृढ़ हैं और इस तरह की पहल उस भारत की पहचान होगी।
पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी पहली पुण्यतिथि पर याद करते हुए, डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि श्री वाजपेयी उन दुर्लभ नेताओं में से एक थे जिन्हें समाज के हर वर्ग से प्यार था और विरोधी भी उनके प्रशंसक थे।उन्होंने आगे कहा कि यह श्री अटलजी थे जिन्होंने 2003 की शुरुआत में देश में तृतीयक स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि की आवश्यकता को मान्यता दी थी। उन्होंने कहा कि अटल जी के प्रधानमंत्री काल में सरकार की एक प्रमुख योजना प्रधान मंत्री सुरक्षा योजना (PMSSY) शुरु हुई और इस योजना के तहत वर्ष 2003 में छह नए एम्स की स्थापना की गई। उन्होंने आगे कहा कि देश में तब से सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में परिवर्तन दिखाई दे रहा है और आश्वासन दिया है कि सरकार इसे और आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पोलियो और मातृ स्वास्थ्य के उदाहरणों का हवाला देते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह अटल जी थे, जिन्होंने अपने व्यावहारिक और दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 की परिकल्पना की और इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का विकेंद्रीकरण करके भारतीय जनसंख्या के अच्छे स्वास्थ्य के स्वीकार्य मानक को प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरू किया। उन्होंने कहा, “मौजूदा संस्थानों में बुनियादी ढांचे को उन्नत करना, भारत के सामाजिक और भौगोलिक विस्तार में स्वास्थ्य सेवा के लिए अधिक न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करना, इसका एक फोकस था।”
डॉ हर्षवर्धन ने आगे कहा कि श्री अटल जी द्वारा शुरू की गई प्रो पुअर योजना और अभिनव योजनाओं ने लाखों गरीबों की मदद की।अटल जी ने राज्य एड्स नियंत्रण समितियों की स्थापना करके एचआईवी/एड्स की एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी शुरू करवाया।
डॉ हर्षवर्धन ने उल्लेख किया कि अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (ABVIMS) ने इस साल 100 एमबीबीएस सीटें हैं। यह प्रतिष्ठित संकायों और विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे के साथ एक अत्याधुनिक मेडिकल कॉलेज होगा। सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में 550 से अधिक बेड हैं और न्यू रेजिडेंट डॉक्टर्स हॉस्टल में 827 बेड इकाइयाँ हैं।
अश्विनी कुमार चौबे, MoS (HFW) ने भी पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को समृद्ध श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि वह एक दूरदर्शी नेता थे और हर किसी से प्यार करते थे। उन्होंने दोहराया कि केंद्र सरकार इस देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और यह इसके लिए एक कदम है। समारोह में मौजूद प्रीति सूदन, सचिव (एचएफडब्ल्यू), निदेशक और एमएस डॉ वी के तिवारी,आरएमएल अस्पताल के अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा छात्र मौजूद थे।