*- आयुर्वेद और योग ऐसी पद्धतियां हैं, जो व्यक्ति को स्वस्थ और सही तरीके से जीना सिखाती हैं – सत्येंद्र जैन
*- स्वस्थ रहने के लिए रोजाना 2-3 किमी पैदल चलें और इसे अपनी जीवनशैली का एक हिस्सा बनाएं – सत्येंद्र जैन
*- आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान कहा जाता है, यह शारीरिक स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है – सत्येंद्र जैन
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येंद्र जैन ने छठें आयुर्वेदिक दिवस 2021 पर आयुष विभाग की ओर से आयोजित ‘अयुरवॉक’ को हरी झंडी दिखाई। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों में शारीरिक गतिविधि करने, पैदल चलने और योग करने को बढ़ावा देना था। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने लोगों को पैदल चलने के अनेक लाभों से अवगत करवाया। इस दौरान उन्होंने लोगों को तनाव मुक्त जीवन शैली अपनाने के लिए भी प्रेरित किया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान कहा जाता है। आयुर्वेद हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुर्वेद और योग ऐसी पद्धतियां हैं, जो स्वस्थ शरीर और स्वस्थ्य मानसिकता का विकास करती हैं। यह पैदल यात्रा कनॉट प्लेस में स्थित सेंट्रल पार्क से शुरू हुई और आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्ब्बिया कॉलेज, करोल बाग में समाप्त हुई। इसके आलावा प्रतिभागियों के बीच औषधीय पौधों का वितरण किया गया और उनके विभिन्न लाभों पर भी चर्चा हुई।
स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येंद्र जैन ने सभी प्रतिभागियों को अधिक से अधिक शारीरिक योग करके स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि वे गतिहीन जीवन शैली जीने से उत्पन्न होने वाले किसी भी शारीरिक विकार से खुद को बचा सकें। उन्होंने स्वस्थ जीवन शैली पर विभिन्न यौगिक क्रियाओं पर चर्चा करते हुए जनता के बीच आयुर्वेद को बढ़ावा दिया। साथ ही उन्होंने छात्रों और आम जनता को भी शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आयुर्वेद को चुनने की सलाह दी।
स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येंद्र जैन ने आयुष निदेशालय को बधाई देते हुए कहा कि निदेशालय ने आयुर्वेदिक प्रणाली का उपयोग कर देश की सेवा में जो योगदान प्रदान किया है, वह काफी सराहनीय है। स्वास्थ्य मंत्री ने तिब्बया कॉलेज और अस्पताल की तरफ से कोविड-19 के दौरान निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का भी जिक्र किया। इस कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग भी शामिल हुए। दिल्ली कैंट के विधायक वीरेंद्र सिंह कादियान और विशेष रवि ने भी आयुष निदेशालय द्वारा आयोजित “अयुरवॉक” में भाग लिया। इस कार्यक्रम में डॉ. राज के. मनचंदा, निदेशक (आयुष) भी मौजूद थे। उन्होंने आयुर्वेद दिवस मनाने के महत्व और इसके उद्देश्यों के बारे में जानकारी देकर लोगों को जागरूक किया।
स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि स्वास्थ्य समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक दवाओं को हमेशा बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह चिकित्सा प्राकृतिक होती है और समस्या को जड़ से खत्म करने में सक्षम होती हैं और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। समुद्र मंथन से निकले भगवान धन्वंतरि के हाथों में कलश था। इसी वजह से दिवाली के दो दिन पहले भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में आयुर्वेद के देवता कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन यानी धनतेरस के दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि सभी को स्वास्थ्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं।
इस दौरान उन्होंने सभी छात्रों और आम जनता को एक स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही रोजाना पैदल चलने की अपील की। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक अहार खाएं। इस बार आयुर्वेद दिवस की थीम ‘पोषण और आयुर्वेद’ पर आधारित है। इस अवसर पर पोषण के बारे में काफी विस्तार से चर्चा हुई। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति के स्वभाव के अनुसार उनके लिए कौन सा भोजन लाभदायक होगा। उन्होंने भोजन का समय और भोजन करने के नियम के बारे में भी बताया। आयुर्वेद का उद्देश्य एक स्वस्थ व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करना और रोगी के रोग का उपचार करना है। आज की आरामदायक जीवन शैली में जहां सारा काम रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होता है, हम किसी भी तरह का शारीरिक व्यायाम करने में असफल रहते है। हमारे शरीर की देखभाल के लिए “अयुरवॉक” काफी मददगार होगा। साथ ही इस कार्यक्रम के जरिए उन्होंने रोजाना 2-3 किलोमीटर पैदल चलने की सलाह दी।
स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येन्द्र जैन ने आयुष एवं तिब्बिया महाविद्यालय के निदेशालय को “अयुरवॉक” आयोजित करने पर बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि इस साल इन संगठनों ने अपने सौ साल पूरे कर लिए हैं और यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।