हेमकुंट साहिब का इतिहास
चमोली के हिमालय में स्थित गुरुद्वारा हेमकुंट साहिब सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में एक माना जाता है सिखो के दसवें गुरू श्री गुरू गोविन्दसिंह ने पूर्व जन्म में ध्यान साधना की थी उसके बाद उनका जन्म हुआ था हेमकुंट साहिब का गुरू गोविन्दसिंह की आत्मकथा में उल्लेख किया गया है । यह जगह सिखों के दसवें गुरू गोविन्दसिंह ने हेमकुंड साहिब का जिक्र दशम ग्रंथ में गुरु गोविंद सिंह में किया था।तीर्थ यात्रा 19 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर हेमकुंट साहिब में मत्था टेकने पहुंचते है बद्रीनाथ हाईवे पर स्थित गोविंदघाट हेमकुंड साहिब का प्रवेश द्वार माना जाता है इस दर्शनीय तीर्थ में चारों ओर बर्फ की ऊची चोटियों का प्रतिबिम्ब बिशालकाय झील में अत्यंत मनोहर लगाता है।
कपाट खुलने से पुलना- भ्यूंडार घाटी में 6 माह से जो सन्नाटा था अब टूट जायेगा और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलेगी जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे स्थानीय लोगों मे खुशी की लहर है कि इस समय यात्रा अच्छी चलेगी इस स्थान की खोज 1932 मे पंडित तारा सिंह नरोत्तम द्वारा हेमकुंड धाम की खोज की गयी थी। जिसके बाद 1933 से हेमकुंड यात्रा शुरू हुईं थी।