जो भारत के लेजेंड मिल्खा सिंह और पीटी उषा भी नहीं कर पाए थे हिमा दास ने कर दिखाया है हिमा दास ने 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण जीत कर इतिहास रच दिया है। इस प्रतियोगिता में रोमानिया की मिकलोस 52.07 सेकेंड के साथ रजत पदक हासिल किया, जबकि अमेरिका की टेलर मेनसन ने 52 .28 सेकेंड के साथ कांस्य पदक जीता। आपको बता दें कि इससे पहले भारत की कोई महिला या पुरुष खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड क्या ब्राॅज या सिलवर भी नही जीत पाया था।
हिमा ने 51.46 सेकेंड में रेस जीतकर गोल्ड भारत के नाम कर दिया। इसी के साथ वह इस चैंपियनशिप में सभी आयु वर्गो में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गई। इतनी बडी उपलब्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीटी उषा और मिल्का सिंह को छोडकर कोई भी खिलाड़ी ट्रैक इवेंट में मेडल के करीब नहीं पहुंच सका था।
हिमा दास का जन्म भारतीय राज्य असम में नागांव में हुआ है। वह अपने माता-पिता, रंजीत दास और जोमाली के छह बच्चों में से सबसे कम उम्र की हैं। चावल के खेतों के बगल में मिट्टी के गड्ढे में स्कूल के दिनों में लड़कों के साथ हिमा फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था बाद में उन्हें एथलेटिक्स में आने का सुझाव दिया गया। दास के एथलेटिक्स कोच निप्पॉन से मुलाकात के बाद उनकी जिंदगी बदल गई निप्पॉन ने दास में स्पार्क की पहचान की और उसे कोचिंग देने के लिए तैयार हो गए। कोच ने हिमा से एथलेटिक्स में कैरियर बनाने के लिए अपने गांव से 140 किलोमीटर दूर गुवाहाटी में स्थानांतरित होने को कहा। हेमा के माता-पिता शुरुआत में अनिच्छुक थे लेकिन निप्पॉन ने उन्हें आश्वस्त किया। निप्पॉन ने हिमा को सरसाजई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के पास एक किराए पर रहने वाले आवास में रहने की व्यवस्था की। उन्होंने उन्हें राज्य अकादमी में शामिल किया, जो मुक्केबाजी और फुटबॉल में विशिष्ट था।