पवन पाण्डेय।पीपीगंज/गोरखपुर दलहनी फसलो में फूल और फल लगने शुरू हो रहे हैं, इस समय किसानों को कीटों से ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञानं केंद्र, चौकमाफी, पीपीगंज गोरखपुर के शस्य वैज्ञानिक डॉ अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि इस अवस्था में फली बेधक कीट का प्रकोप बहुत अधिक होता है। इस कीट का प्रकोप चना, अरहर, मटर के साथ साथ अन्य दलहनी फसलों में अधिक होता है I
इस कीट की नवजात सुड़ियाँ, पत्तियों, कलियों तथा फूलों को तेजी से खाती है जबकि परिपक्व सुड़ियाँ फलियों में गोलाकार छेद बनाकर दाना खाती है । फली खाते समय सुडियों का आधा भाग ग्रसित फली के बाहर लटका रहा होता है जो कीट का महत्वपूर्ण लक्षण हैI कलियाँ बनने से लेकर फलियाँ पकने तक इस कीट का प्रकोप अधिक होता हैI इस किट के नियंत्रण हेतु कीट भक्षी पक्षियों के बैठने के लिए खेत में टी (T) के आकर के डंडे (15-18/एकड़) लगाने चाहिए I फसल से कीट नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG की 200-250 ग्राम दावा को 600-750 लीटर पानी में घोलकर या स्पिनोसेड 45 एस.सी. की 200 मिली दावा को 600 लीटर पानी में घोलकर या इंडोक्साकार्ब 15.8 % ई.सी. 500 मिली.दावा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में छिडकाव करना चाहिए I
नियंत्रण के लिए बताई गई दवाओं में से किसी 1 दवा का छिड़काव 50 प्रतिशत फूल आने पर तथा 50 प्रतिशत फली आने पर छिडकाव करना चाहिए