13 जनवरी (नई दिल्ली) भारतीय शिक्षण मंडल के युवा आयाम के तत्वावधान में स्वामी विवेकानन्द की 158 जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर ‘माँ माँगति वैचारिक योद्धा’ विषय पर विशेष व्याख्यान एवं युवा संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने मुख्य वक़्ता के रूप में युवाओं से संवाद किया।
उन्होंने कहा कि अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मलेन में स्वामी विवेकानंद ने भारत की ओर से सनातन हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया तथा वेदांत दर्शन का प्रसार पुरे विश्व में किया। आपने समाज के सेवा कार्य के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उन्होनें कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने युवाओं से आह्वान किया कि उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। स्वामी विवेकानन्द ने कहा है कि तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है।
उन्होंने कहा कि आज हमें यदि भारत को विश्व गुरु बनाना है तो इसके लिये वैचारिक एवं बौद्धिक योद्धाओं की जरूरत है। भारतीय शिक्षण मंडल का प्रमुख उदेश्य हजारों विवेकानन्द तैयार करना है। हमनें संपूर्ण विश्व की शिक्षा को युगानुकूल गुरूकुल शिक्षा पद्धति में परिवर्तित करने का संकल्प लिया है। नासा, गूगल जैसी बड़ी विश्व स्तरीय संस्थाओं को भारतीय वैचारिक योद्धा ही चला रहे हैं। आज हमारी बौद्धिक क्षमताओं एवं बौद्धिक प्रतिभाओं का लाभ दुनिया के दुसरे देश उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश हमारे प्रतिभाशाली युवा अपने निजी स्वार्थ और लोभ के कारण विदेशों में जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। आज संपूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति और संस्कारों को अपनाकर हमारा अनुसरण कर रहा है और वैश्विक नेतृत्व के रूप में उम्मीद भरी नजरों से भारत कि ओर देख रहा है।उन्होंने कहा कि संकट के काल में भारत ने संपूर्ण विश्व को नई राह दिखाई है। भारतीय संस्कृति और संस्कार विश्व में सर्वोच्च एवं सर्वश्रेष्ठ हैं।
एक तरफ आज संयुक्त राष्ट्र में विश्व के 182 देश हमारा नेतृत्व स्वीकारने को आतुर हैं वहीं दुसरी तरफ चीन और पाकिस्तान के साथ देश की अलगावादी ताकतें हमारी सुरक्षा के लिये चुनौती हैं। हमें इन चुनौतियों से पार पाना है।उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा विचारों पर तैयार की गई है। उनके ओजस्वी विचार आज भी प्रासंगिक हैं और युवाओं के कानों में गुंज रहे हैं। उन्होंने कहा कि रिसर्च तोड़ने और अलगाववाद की बजाए एकात्म एवं मानव कल्याणार्थ होना चाहिए। हम अपने अंदर लाभ पाने के स्थान पर राष्ट्र एवं समाज को देने की क्षमता विकसित करें।
हम वैचारिक नेतृत्व करने की भूमिका में आगे आयें। आज सनातन संस्कृति में जन्म लेने वालों को राष्ट्रहित में संगठित होने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि हम अपनी मातृभाषा पर पूर्णतया गर्व करें और साथ ही अन्य भाषाओं को भी अवश्य सीखें ताकि दुसरों को उनकी भाषा में जवाब दे सकें। उन्होंने कहा कि माँ भारती बलिदान मांगती है। हमें स्वयं को विवेकानन्द बनाकर राष्ट्र निर्माण में अपनी पूर्ण सहभागिता करनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपनी वैचारिक एवं बौद्धिक क्षमता विकसित करने का आह्वान किया।
युवा आयाम के सह प्रमुख अमित रावत ने बताया कि देश के 38 प्रांतों से कुल 1178 युवाओं ने संजाल गोष्ठी में पंजीयन किया था। सामाजिक माध्यमों से अन्य ११ हज़ार युवाओं ने कार्यक्रम में सहभाग किया । आयाम प्रमुख डॉक्टर नीता बाजपेयी ने सभी का आभार प्रगट किया तथा युवाओं से प्रत्यक्ष योगदान का आह्वान किया ।