अब आईआईटी कानपुर दिल्ली में वायु प्रदूषण के वास्तविक कारणों का अध्ययन कर पता लगाएगी। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर के बीच वायु प्रदूषण का रीयल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर हो गए है। आईआईटी कानपुर 23 महीने में अध्ययन पूरी कर दिल्ली सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। दिल्ली में स्थापित सुपर साइट से जुड़े अलग-अलग हिस्सों में मोबाइल वैन के जरिए एक्यूआई का अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत में पहली बार दिल्ली के अंदर तकनीक के माध्यम से वायु प्रदूषण के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए स्टडी होने जा रही है। केजरीवाल सरकार इस तरह की आधुनिक तकनीक से आधारित समाधान को लागू करने वाली पूरे देश में पहली राज्य सरकार है।
केजरीवाल सरकार ने वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई तेज कर दी है। अब दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारणों को वास्तविक समय में जानने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए आईआईटी कानपुर और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के बीच आज एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। एमओयू पर आईआईटी कानपुर की ओर से अनुसंधान और विकास के डीन प्रो. एआर हरीश और दिल्ली सरकार की ओर से डीपीसीसी सदस्य सचिव डॉ. केएस जयचंद्रन ने हस्ताक्षर किए हैं। अब अध्ययन कर वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालित योजनाओं के सुझाव दिए जाएंगे।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए उत्सुक हैं। केजरीवाल सरकार इस तरह की आधुनिक तकनीक आधारित वायु प्रदूषण के समाधान को लागू करने वाली पूरे देश में पहली राज्य सरकार है।
दिल्ली के डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन की रीना गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के वायु प्रदूषण संकट को हल करने के लिए दुनिया की सबसे बेहतर संस्थाओं-लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
एमओयू पर हस्ताक्षर “दिल्ली में अग्रिम वायु प्रदूषण प्रबंधन के लिए रीयल-टाइम सोर्स एपोर्शनमेंट एंड फोरकास्टिंग” नामक परियोजना के तहत किए गए हैं। वैज्ञानिक अब इस नई परियोजना पर जोर-शोर से काम शुरू करेंगे। यह परियोजना आईआईटी-कानपुर के प्रोफेसर मुकेश शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री को प्रस्तुत की गई थी। जिसके बाद दिल्ली कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी थी। वास्तविक समय में प्रदूषण के कारणों का पता करने और प्रदूषण के विभिन्न कारणों का विभाजन करने की तकनीक देश के किसी अन्य शहर में लागू नहीं की गई है। इसके जरिए हवा की गुणवत्ता की साप्ताहिक, मासिक और मौसम के हिसाब से विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके अलावा एनओएक्स, एसओटू, ओजोन, बीटीएक्स, मौलिक कार्बन, कार्बनिक कार्बन और अन्य कार्बनिक यौगिकों का पता करने के लिए अत्याधुनिक सुपरसाइट्स तैयार की जाएंगी। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों की पहचान करने के लिए जगह-जगह मोबाइल वैन भी तैनात की जाएगी।
वहीं दिल्ली में रीयल-टाइम सोर्स अपॉइंटमेंट परियोजना किसी भी स्थान पर वायु प्रदूषण में वृद्धि के कारणों की पहचान करने में मदद करेगी। वाहन, धूल, बायोमास जलने, पराली जलाने और उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषण के वास्तविक समय के प्रभाव को समझने में मदद करेगी। इसके बाद परिणामों के आधार पर दिल्ली सरकार प्रदूषण के स्रोतों पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर के बीच वायु प्रदूषण का रीयल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के लिए एमओयू पर हुआ हस्ताक्षर
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि आज डीपीसीसी और आईआईटी कानपुर के बीच में रीयल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है। हमें इस समझौते पर बहुत खुशी है। इससे पहले, हमने अमेरिका के यूनिवर्सिटी के साथ एक समझौता किया था। इस तरह के अध्ययन के लिए कि प्रदूषण का वास्तविक कारण क्या है, यह पता चले। क्योंकि दिल्ली के अंदर कई अध्ययन हैं, लेकिन आज अगर प्रदूषण है, तो उसका वास्तविक कारण क्या है, जिससे कि उसके निदान पर फोकस किया जा सके। जैसा कि 10 दिन पहले तक दिल्ली का एक्यूआई समान्य था। अचानक पराली जलनी शुरू हुई और तेजी के साथ प्रदूषण का स्तर बढ़ गया। समान्य तौर पर यह लगता है कि पराली जलने की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, क्योंकि जब हम नासा के चित्र में देखते हैं तो जितनी तेजी के साथ पराली जलने की घटनाएं उसमें दिखती है, उतना ही दिल्ली का एक्यूआई भी बढ़ता है। लेकिन दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण होता है, उसका एक ही कारण नहीं है। वह कौन-कौन से कारण (फैक्टर) किस समय कहां-कहां काम कर रहे हैं, इसका रीयल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के लिए आईआईटी कानपुर के साथ यह एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है।
आईआईटी कानपुर ने बीते फरवरी में सीएम अरविंद केजरीवाल के समक्ष रीयल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी का प्रजेंटेशन दिया था- गोपाल राय
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि आईआईटी कानपुर ने इसके अध्ययन के लिए 23 महीने का समय लिया है। 23 महीने तक स्टडी करने के बाद वे अंतिम सिफारिश सरकार को सौंपेंगे। इसकी जो प्रक्रिया होगी, उसमें दिल्ली के अंदर एक सुपर साइट स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसके साथ-साथ मोबाइल वैन के माध्यम से उस सुपर साइट से जुड़े दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में वहां के एक्यूआई के अध्ययन का काम किया जाएगा। जिससे कि इस पूरी प्रक्रिया को पूरा किया जा सके। आईआईटी कानुपर के वैज्ञानिकों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष बीते फरवरी में प्रजेंटेशन दिया था। भारत में पहली बार दिल्ली के अंदर इस तकनीक तरीके के आधार पर अध्ययन होने जा रहा है। प्रजेंटेशन के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे दिल्ली के अंदर लागू करने का निर्देश दिए थे। इसके बाद पर्यावरण विभाग ने सारी कागजी कार्रवाई पूरी कर आज एमओयू पर हस्ताक्षर किया है। मुझे पूरा उम्मीद है कि समयबद्ध तरीके से इस लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे और दिल्ली के अंदर एक नए तरह की तकनीक की मदद हमें मिल पाएगा, जिसकी मदद से हम लक्षित तरीके से हम दिल्ली के अंदर इस प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई को पूरा कर पाएंगे।