उत्तरप्रदेश के सीतापुर जनपद में आये दिन अप्रशिक्षित डॉक्टरों के कारनामो से स्वास्थ्य विभाग चिर परिचित है पीड़ित मरीज चन्द रुपयो को बचाने के चक्कर में इनके जाल में फँस जाते हैं जिससे यह घटनाएं होती रहती हैं मगर स्वास्थ्य विभाग अपनी आंखों पर पट्टी क्यों बांध बैठा है। आप को बताते चले कि जब नमामि भारत की टीम द्वारा पड़ताल में जो चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए । सीतापुर के विकास खण्ड गोंदलामऊ के संदना क्षेत्र में मिश्रिख सिधौली मार्ग पर सड़क किनारे प्राइवेट क्लीनिकों को चला रहे है जो सीएमओ कार्यालय से रजिस्टर्ड भी नही। अप्रशिक्षित डॉक्टर बिना पर्याप्त डिग्री हासिल किए मरीजों का इलाज करते नजर आये उसमे भारी भरकम एक्सरे मसीन तथा अल्ट्रासाउंड ब्लड टेस्ट पैथालॉजी बना रखा है कई डॉक्टरों के नाम बोर्ड पर लिखवाकर मरीजो को भ्रमित कर लूटने का जरिया बना हुआ है। क्या उस रोड से क्या स्वास्थ्य विभाग के अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोदलमाँऊ नहीं गुजरते या उनके संज्ञान में नही है ?
इसी प्रकार सदरपुर थाना क्षेत्र में सुमित्रा हास्पिटल नाम से 15 बेड़ों का एक बड़ा हॉस्पिटल फर्जी तरीके से संचालित है जिसमे सीएमओ कार्यालय से रजिस्टर्ड भी नही । अप्रशिक्षित डॉक्टर बिना डिग्री हासिल किए मरीजों का इलाज कर बेख़ौफ कर रहे हैं जिसके प्रबन्धक सजंय कुमार यादव वहां पर इलाज करते नजर आये जिसमे नसीम क्लीनिक का गोरखा धंधा खुद अपने आप में बया कर रहा है। उसमे संचालित मेडिकल स्टोर फार्मासिस्ट तो हैं ही नही लाइसेंस तो दूर की बात है। इसी प्रकार दर्जनों मेडिकल स्टोर सदरपुर में मौत की दुकाने सजा रखी हैं ।
इसी प्रकार नैपालापुर चौराहे से चन्द कदम दक्षिण पूरब सड़क से सटा हिमसिटी चिकित्सालय भारी भरकम कैम्पस में अप्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट क्लीनिंक संचालित कर मौत बेचीं जा रही है जबकि कुछ दिन पुर्व एक ऐसी ही विना रजिस्टेशन के प्राइवेट वर्मा क्लीनिंक पर जाँच में एलोपैथिक दवाओ का जखीरा गोदलामाऊ अधीक्षक ने बरामद किया था लेकिन समय रहते अगर उस पर आवस्यक कार्यवाही हो जाती तो मोहकमगंज में फर्जी डॉक्टर बने विश्राम मरीज के फोड़े के आप्रेशन में खून की नस ही काट बैठा जिससे उसकी हालात बिगड़ने पर लखनऊ ट्रामा सेन्टर भेजा उसको भी स्वास्थ्य महकमा ने दबाकर ही दम लिया।
कुछ दिन पूर्वें हरगाँव में एक झोलाछाप अप्रशिक्षित बंगाली डॉक्टर ने एक बच्चे की जान भी ले लिया था जिम्मेदारों ने बहुत आश्वासन बच्चे के मां बाप दिया कि यह कार्यवाही कर दूँगा वह कर दूँगा जबकि एक्सपाइरी दवाओं का जखीरा क्षेत्रीय अधीक्षक द्वारा बंगाली डॉक्टर की क्लीनिक के पीछे बरामद किया गया था लेकिन अभी तक प्रभावी कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग ने नही की जिससे कुछ सीख़ मिल सके ।
ऐसे लगातार केस आते हैं जांच पड़ताल होती रहती है फिर उसे ठंडे बस्ते में बंद कर दिया जाता है आखिर इनं पर कार्यवाही क्यों नही होती है जबकि स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कुम्भकर्णी नीद कब टूटेगी यह तो पड़ताल की महज बानगी है। अप्रशिक्षित डॉक्टरों पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर सख्त से सख्त कार्यवाही करें जिससे घटनाओ की पुनराव्रत्ति न हो ।
जब इस विषय में सुरेन्द्र कुमार शाही प्रभारी जाँच अधिकारी एडिशनल सीएमओ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला कई विकास खण्डों का अवैध रूप से संचालित प्राइवेट क्लीनिक का आया है टीम बनाकर जांच कर कार्यवाही करने को कहा है ।
रिपोर्ट :- नैमिष शुक्ला