रिपोर्ट- जितेंद्र सोनी
कहते हैं कि खुशियो पर सभी का हक होता है। खुशियां अमीरी-गरीबी नहीं देखती हैं। कुछ लोग दूसरों को खुशियां देकर खुश होते हैं। कुछ इसी अंदाज में नए साल 2021 का आगाज जिले के अधिकारी ने गरीबी के पायदान पर बैठी बच्ची के बीच खुशियां मनाई। बच्ची को नए साल का उपहार दिया। उपहार पाकर बच्ची का चेहरा ऐसे खिला जैसे पूरी कायनात उसके कदमो में हो। बच्ची को भी अपनेपन का अहसास हुआ। लेकिन आज जब उनके हाथों में कलम को थामे रखने के लिए उपहार दिया गया तो जिले भर का प्यार बच्ची पर उमड़ पड़ा और अधिकारी के ऐसे प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा हो रही है।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ सरकार के द्वारा चलाई गई मात्र एक योजना ही नही है बल्कि इस योजना में सरकार का एक उद्देश्य छिपा है। जिसके द्वारा गाँव कस्बो में बेटियों के प्रति समाज का नजरिया बदलना और उन्हें समाज मे बेटो के बराबर शिक्षा देकर बराबरी का दर्जा देना है। कुछ ऐसी ही पहल अपनी तरफ से सरकार के कुछ अधिकारी भी कर रहे है सरकार ने जो मुहिम छेड़ी है उसको साकार करने में लगे हुए है।
आपको बतादे कि ऐसा ही एक मामला जालौन के कोच में देखने को मिला। जब एक गरीब परिवार में पैदा हुई छात्रा के पास स्कूल जाने के लिये कोई संसाधन नही थी और उसको अपने गांव से 10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था। मजबूर पिता की इतनी हैसियत नही थी कि वो अपनी बच्ची को एक साइकिल दिलवा सके। जिस कारण से बच्ची की पढ़ाई बाधित हो रही थी और जब यह बात कोंच तहसीलदार को पता चली तो उन्होंने छात्रा को एक साइकिल दिलवा दी। जिससे कि वह समय पर स्कूल पहुँच सके और अपनी पढ़ाई अच्छे से कर सके।
छात्रा शिल्पी जाटव ने बताया कि वह कोंच तहसील के रामपुर सनेटा गांव की रहने वाली है और कक्षा 9 वी की छात्रा है। वह कोंच नगर स्थित सेठ बृन्दावन इंटर कॉलेज से अपनी पढ़ाई कर रही हूं। लेकिन मेरे पास स्कूल जाने के लिये कोई संसाधन नही था। जिस बजह से वह स्कूल समय पर नही पहुँच पाती थी। कभी बस मिल जाती थी जो उससे चली जाती थी। बरना 10 किलोमीटर पैदल ही जाना पड़ता था और मेरे पिता की इतनी क्षमता नही थी कि वो मुझे स्कूल जाने के लिये साइकिल दिलवा सके। क्योंकि वो सिर्फ मजदूरी ही करते है। एक दिन मेरे स्कूल में तहसीलदार साहव आये और उन्हें मेने अपनी परेशानी बताई जिस पर उन्होंने मुझे बुलाया और स्कूल आने जाने के लिये मुझे एक साइकिल दिलवाई। जिससे अब मेरी पढ़ाई बाधित नही होगी।
वही छात्रा के पिता नरेन्द्र जाटव ने बताया कि उनकी बच्ची सेठ बृन्दावन इंटर कॉलेज कोंच में कक्षा 9 वी में पढ़ती है और उसके पास स्कूल जाने का कोई साधन नही था। कभी कभार जो भी साधन बस बगैरह मिल जाती थी तो उससे चली जाती थी। बरना उसको 10 किलोमीटर पैदल चलकर ही स्कूल जाना पड़ता था और जब यह बात तहसीलदार सहाव को पता चली। तो उन्होंने हमारे बेटी को बुलाया और उसको सम्मानित करते हुये उसे स्कूल जाने के लिये एक साइकिल दिलवा दी। जिससे अब मेरी बेटी की पढ़ाई बाधित नही होगी।
वही जब इस पूरे मामले के बारे में तहसीलदार कोंच राजेश विश्वकर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि ग्राम रामपुर सनेटा की रहने वाली एक छात्रा शिल्पी जाटव है जो कक्षा 8 वी तक कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में पढ़ रही थी। चूकि कस्तूरबा विधालय में ऐसे ही बच्चों की पढ़ाई होती है जिनकी परिवार की स्थिति अच्छी नही होती है और वो अपने बच्चों के पढ़ाई का बहन नही कर पाते है तो इस बच्ची ने एक दिन विद्यालय के कार्यक्रम में जब सभी बच्चे उपस्थित थे। तो छात्रा ने बतया की मैं 10 किलोमीटर दूर से पैदल विद्यालय आती हू और मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही है फिर मैंने लड़की को अपनी गाड़ी में बैठाया और साइकिल दिलवाई और ये चाहता हु इस बच्ची का साइकिल से शुरू हुआ सफर सरकारी गाड़ी में आईएएस व पीसीएस अधिकारी बनकर खत्म हो।