जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी का तीन साल पुराना साथ आखिरकार टूट गया है। भाजपा ने महबूबा मुफ्ती सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है।जम्मू-कश्मीर में बीजेपी प्रभारी राम माधव ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हमने सबकी सहमति से आज यह निर्णय लिया है कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा अपनी भागीदारी को वापस लेगी। 87 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भाजपा के पास 25 सीट और पीडीपी के पास 28 सीटें हैं। महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्तीफा राज्यपाल नरेंद्र नाथ वोहरा को सौंप दिया है।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भाजपा द्वारा राज्य में गठबंधन सरकार से अलग होने का ऐलान करने के बाद अपना इस्तीफा राज्यपाल एनएन वोहरा को सौंप दिया। राज्य सरकार के प्रवक्ता और सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर ने महबूबा मुफ्ती द्वारा इस्तीफा दिए जाने की पुष्टि की है। इस बीच, उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता ने भी भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री महबूबा मुफती के मंत्रीमंडल में शामिल सभी मंत्रियों के इस्तीफों की पुष्टि करते हुए कहा कि अब हम गठबंधन से अलग हो चुके हैं। इसलिए मंत्रीमंडल और सरकार में बने रहने का कोई औचित्य नहीं हैं। हमने अपने इस्तीफे मुख्यमंत्री को सौंप दिए हैं।
जम्मू-कश्मीर के प्रभारी और भाजपा के महासचिव राम माधव ने कहा, ‘हम खंडित जनादेश में साथ आए थे। लेकिन मौजूदा समय को देखने के बाद इस सरकार को चलाना मुश्किल हो गया था। महबूबा मुफ्ती हालात संभालने में नाकाम साबित हुईं। राम माधव ने बताया कि हम एक एजेंडे के तहत सरकार बनाई थी। साथ ही उन्होने ये भी केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकार की हर संभव मदद की। गृहमंत्री समय पर राज्य का दौरा करते रहे। सीमा पार से जो भी पाकिस्तान की सभी गतिविधियों को रोकने के लिये सरकार और सेना करती रही। लेकिन हालात सुधर नहीं रहे हैं।
राज्य सरकार की मदद केंद्र सरकार करती रही। लेकिन राज्य सरकार पूरी तरह से असफल रही। जम्मू और लद्दाख में विकास का काम भी नहीं हुआ। कई विभागों ने काम की दृष्टि से अच्छा काम नहीं किया। भाजपा के लिये जम्मू-कश्मीर हमेशा भारत का एक अभिन्न अंग है, लेकिन आज जो स्थिति है उस पर नियंत्रण करने के लिये हमने फैसला किया है कि हम जम्मू-कशमीर में शासन को राज्यपाल का शासन लाएं।
ज़ेबा ख़ान