तृप्ति रावत/ हाल ही में पुलवामा से औरंगजेब का अपहरण और उसके बाद निर्मम तरीके से की गई हत्या के बाद अब मेजर शुक्ला की जान को खतरा है। दरअसल जैश-ए-मोहम्मद का अगला निशाना कैप्टन शुक्ला हो सकते हैं। आठ महीने से जैश-ए-मोहम्मद आतंकी का बदला लेने के लिए प्लानिंग कर रहा था जिसके बाद औरंगजेब की हत्या की।
बता दें कि आतंकियों को ढेर करने के आपरेशन को मेजर शुक्ला लीड कर रहे थे। औरंगजेब सिर्फ उनके राइफलमैन थे। दरअसल कश्मीर में आतंकियों के दिमाग पर खौफ बन कर छा चुके मेजर शुक्ला की सुरक्षा को अब और पुख्ता करने की जरूरत है। जैश को पता है कि जब तक उनकी सुरक्षा में औरंगजेब जैसे जाबांज और वफादार जवान तैनात रहेंगे तब तक कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता है।
औरंगजेब का अपहरण करने के बाद उसकी दर्दनाक मौत एक आतंकी वारदात नहीं थी। बल्कि यह पूरी सोची-समझी एक साजिश का हिस्सा था। जिसे खुद पाकिस्तान में बैठा जैश-ए-मोहम्मद का आका मसूद अजहर ने प्लान किया था। मसूद अजहर ने सेना के एक जांबाज से बदला लेने के लिए पूरे आठ महीने तक रणनीति तैयार की थी।
औरंगजेब की मौत की हो सकती है यह वजह
इस पूरे घटनाक्रम की शुरूआत नवंबर 2017 से हुई थी। जब सोशल मीडिया पर समीर टाइगर की अमेरिकी राइफल एम-4 कार्बाइन के साथ एक तस्वीर वायरल हुई। तस्वीर देख कर कश्मीर के साथ पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए।
सवाल उठाया गया कि जिस बंदूक का इस्तेमाल अमेरिका की नाटो और पाक की स्पेशल फोर्स करती हैं वो कश्मीर में कैसे आ गई? मामले की जांच के बाद यह बात सामने आई कि यह बंदूक पाकिस्तान के रास्ते कश्मीर में आई है। इसे वहां से लाने वाला और कोई नहीं खुद जैश चीफ मसूद अजहर का भतीजा और खूंखार आतंकी तल्हा रशीद है।
सुरक्षा एजेंसियां लगातार राइफल एम-4 कार्बाइन की तलाश में थीं। इसी बीच पिछले साल सात नवंबर को इनपुट मिले कि तल्हा अपने दो साथियों के साथ पुलवामा में मौजूद है। जिसके बाद उसे ढेर करने का जिम्मा सेना की 44 आरआर को सौंपा गया जिसका शूटर औरंगजेब था।
सूत्रों की मानें तो उस ऑपरेशन को मेजर शुक्ला ने ही लीड किया था। हालांकि सेना के साथ इस ऑपरेशन में एसओजी और सीआरपीएफ भी शामिल थी। आधी रात को अंधेरे में शुरू हुई इस एनकाउंटर में तीनों आतंकियों को जवानों ने मार गिराया और वह कार्बाइन भी बरामद कर ली।
तल्हा कश्मीर घाटी में जैश का कमांडर था। उसके साथ दो और आतंकी मारे गए थे उनकी पहचान मोहम्मद भाई और वसीम के तौर पर हुई थी। मोहम्मद भाई जैश का डिवीजनल कमांडर था, जो पाक का रहने वाला था। जबकि वसीम पुलवामा के द्रुबगाम का रहने वाला था। उस मुठभेड़ में तल्हा के चेहरे पर भी गोली लगी थी। जिसके बाद से ही मसूद अजहर बौखलाया हुआ था। जिसके बाद उसने सेना के जवानों से बदला लेने की साजिश रची।
तल्हा के ऑपरेशन को सेना की कौन-सी बटालियन ने अंजाम दिया यह तो सबको पता था लेकिन उस बटालियन में मौजूद किस जवान की गोली से वह मारा गया इसकी जानकारी बाहर किसी को नहीं थी।
हाल ही में जारी औरंगजेब से पूछताछ का जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें आतंकी उससे यही पूछ रहे हैं कि तुमने ही उसे मारा था न ? जिस पर बेखौफ होकर औरंगजेब ने हां में जवाब दिया। ऐसे मौके पर भी वह सच ही बोल रहा था। वह सचमुच बहादुर था।