रिपोर्ट- विवेक राजपूत
झांसी के ग्वालियर रोड पर स्थित क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान को उच्चीकृत कर केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान बना दिया गया है। इस संस्थान के नए भवन का लोकार्पण 7 जनवरी को केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद येसो नाईक एवं क्षेत्रीय सांसद अनुराग शर्मा करेंगे लोकार्पण समारोह में आयुष मंत्रालय के अपर सचिव प्रमोद पाठक, झांसी विधायक रवि शर्मा, सीसीआरएएस नई दिल्ली के महानिदेशक प्रोफेसर वैद्य केएस धीमान, एन एम पी बी नई दिल्ली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर जेएलएन शास्त्री मौजूद रहेंगे।
इस संबंध में संस्थान के प्रभारी सहायक निदेशक डॉ. जी बाबू ने बताया कि पूरे भारत में केवल झांसी को ऐसा केंद्रीय संस्थान बनाया गया है, जिसमें आयुर्वेद फार्मेसी की दवाओं को बनाने से लेकर उसकी क्वालिटी तक चेक की जाएगी। उन्होंने बताया कि हाल ही में झांसी केंद्र का उच्चारण हुआ है। जल्द ही संस्थान में एक आयुर्वेद रिसर्च फार्मेसी भी शुरू होगी, जिसमें औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भी होगी। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद फार्मेसी में विविध डोसेज फॉर्म जैसे चूर्ण, वटी-गुटी, टेबलेट, क्वाथ, तेल, घृत, अवलेह आदि बनाने की व्यवस्था है।
इसके अलावा जो कच्ची औषधियां है और जो फाइनल प्रोडक्ट बनता है, उनका क्वालिटी चेक करने के लिए अत्याधुनिक प्रयोगशाला भी संस्थान में उपलब्ध कराई गई है। यह भारत का अद्वितीय विभाग होगा, जहां पर दोनों व्यवस्थाएं एक साथ पूरी तरह से जुड़ी हुई होंगी। इस पहल से आयुर्वेदिक औषधियों के अनुसंधान में यह तेजी आएगी और इसका फायदा जन-जन तक जल्दी पहुंचने से उम्मीद बढ़ेगी, वहीं आयुर्वेद का प्रचार प्रसार और भी बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजना चल रही है, जिसके अंतर्गत भारत के विभिन्न एग्रो क्लाइमेट जोंस सीसीआरएएस के संस्थानों द्वारा भेजी जाने वाली कच्ची औषधि द्रव्यों का संग्रहण केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा।
इसे राष्ट्रीय मानक औषध संग्रहालय का नाम दिया गया है। इसके साथ ही अधिकृत रॉ ड्रग्स मैटेरियल्स के बारे में प्रशिक्षण एवं उनकी विस्तृत जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी। इस परियोजना से आमजन को आयुर्वेदिक कच्ची औषधियों के बारे में सटीक एवं विस्तृत जानकारी मिलेगी। जो शोधार्थी औषधीय पादप पर शोध कार्य कर रहे हैं, उन्हें भी से लाभ मिलेगा। संस्थान में माइक्रोबायोलॉजी लैबोरेट्री भी स्थापित की जा रही है, जिसमें आयुर्वेदिक कच्ची औषधियों एवं फाइनल प्रोडक्ट की सुरक्षा एवं अन्य मापदंडों का आकलन किया जाएगा।
इसके अलावा संस्थान में कच्ची औषधि द्रव्य संग्रहालय एवं औषधीय पादपों का गार्डन भी उपलब्ध है, जो आयुर्वेद पढ़ने वाले छात्रों एवं शोधार्थियों के लिए उपयुक्त होगा। उन्होंने बताया कि 7 जनवरी के लोकार्पण के पूर्व कल यानि 6 जनवरी को संस्थान में एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया है। इस अवसर पर आयुर्वेद अनुसंधान अधिकारी डॉ. चंद्रशेखर जगताप, डॉ. वैभव चरड़े, रसायन अनुसंधान अधिकारी डॉ. विजय कुमार आदि मौजूद रहे।