धर्मवीर गुप्ता/ सिद्धार्थनगर। राजधानी लखनऊ से करीब 270 किलोमीटर दूर नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित सिद्धार्थनगर जिले के किसान काला नमक धान 55 सौ रुपये क्विंटल तक के रेट पर बेच रहे थे।उस धान का नाम है काला नमक।जिसके बारे में कहा जाता है कि सिद्धार्थनगर के बजहा गांव में गौतम बुद्ध के जमाने से पैदा हो रहा है।और दावा है कि इसका जिक्र चीनी यात्री फाह्यान के यात्रा वृतांत में भी मिलता है। इस धान से निकला चावल सुगंध, स्वाद और सेहत से भरपूर है। इसकी खुशबू अब जापान, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड और भूटान सहित बौद्ध धर्म के मानने वाले कई देशों तक पहुंच गई है।
यह धान तराई बेल्ट सिद्धार्थनगर में जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर अलीदापुर गांव काला नमक का गढ़ है।प्राचीन वैराइटी का यह चावल दाम और स्वाद दोनों मामले में बासमती को भी मात देता है।सिद्धार्थनगर के मंझरिया गावँ के किसान राम बरन चौधरी ने बातचीत में बताया कि यह चावल इस समय 12,000 रुपये प्रति क्विंटल के रेट पर बिक रहा है।यह धान बारिश के नेचुरल पानी से ही होता है।काला नमक की नई किस्मों के आने से पिछले साल के मुकाबले इस बार एरिया बढ़कर डबल यानी करीब 10 हजार हेक्टेयर हो गया है काला नमक की खेती से हमारी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है।तो वहीं जिला कृषि अधिकारी सी.पी.सिंह का कहना है कि काला नमक चावल से ही जनपद सिद्धार्थनगर की पहचान है।
काला नमक चावल या धान से किसान की आमदनी निश्चित तौर पर दुगनी ही नहीं तीगुनी हो सकती है क्योंकि इसकी महक इसकी पौष्टिकता का गुण भरपूर है इस चावल को लोग विदेश में भी बहुत लाइक कर रहे हैं बहुत सारी कंपनियां जो चावल का निर्यात करती हैं वह आ रही हैं किसानों का इसका सीधा फायदा मिल रहा है और उनके उत्पादन का सही सही दाम मिल रहा है इसके लिए पहले सेमिनार भी करवाये थे और अब खेसरहा ब्लॉक में अब इसका हब बनाया जा रहा है जिसका कार्य शुरू हो गया है उसके पूर्ण होते ही किसानों को प्रशिक्षण, मार्केटिंग, बीज इत्यादि सुविधाएं एक ही छत के नीचे प्राप्त होंगे।