पूरी दुनिया कोरोना के कहर से त्राहि-त्राहि कर रही है। लेकिन कोरोना का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है, थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन तलाशने में जुटे हुए हैं, लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी है। लेकिन कानपुर के रहने वाले युवा इंजीनियर शिवम श्रीवास्तव ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है, जिससे कोरोना को फैलाव में रोकने में सफलता मिल सकती है। ऐसे में नमामि भारत के रिपोर्टर रजत जय त्रिपाठी ने युवा इंजीनियर शिवम् से फोन पर ही बातचीत की है, जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनकी डिवाइस कोरोना के फैलाव में रोकने में मददगार साबित हो सकती है।
रजत जय त्रिपाठी – आपकी डिवाइस की खासियत क्या है? और यह किस प्रकार कोरोना के फैलाव में रोकने में मददगार साबित होगी?
शिवम् श्रीवास्तव – जैसा की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि व्यक्ति अनावश्यक अपनी नाक को बार-बार छूता है। कुछ लोगों की यह आदत बन जाती है। क्योंकि हमारा हाथ लगातार किसी ने किसी वस्तु के संपर्क में आता रहता है, ऐसे में जब व्यक्ति अपने नाक को छूता है तो गंदगी उसके शरीर के अंदर प्रवेश कर जाती है, जिससे उससे बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में मैने जो डिवाइस बनाई है, वह सेंसर बेस काम करती है। इस डिवाइस में हम हाथ में पहन सकते हैं और एक मैग्नेट कॉलर में लगा लेते हैं और जैसे ही व्यक्ति का हाथ उसके नाक में पास जाता है तो डिवाइस बीप-बीप की आवाज करने लगती है, जिससे व्यक्ति चौकन्ना हो जाता है और वह गलती करने से बच जाता है। इस डिवाइस को लगातार यूज करने से हमारी यह गंदी आदत छूट जाती है और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
रजत जय त्रिपाठी – आपने इस डिवाइस का क्या नाम दिया है? और जब यह बाजार में आएगी तो इसकी कीमत क्या होगी?
शिवम श्रीवास्तव – इस डिवाइस में मैनें रक्षासूत्र नाम दिया है। आप जानते हैं कि रक्षासूत्र जब किसी के हाथ में बांधा जाता है तो यह उसकी रक्षा का प्रण लिया जाता है। ऐसे में जब यह रक्षासूत्र किसी के हाथ में बंधेगा तो उसकी रक्षा करने में मददगार साबित होगा। हालांकि, जहां तक इसकी कीमत की बात है तो 100 रुपए में यह किसी भी व्यक्ति को मिल जाएगी। लेकिन अभी तक मैनें एक ही डिवाइस बनाई है अभी व्यापारिक दृष्टि से कुछ सोचा नहीं है, लेकिन अगर सरकार का साथ मिले तो निश्चित ही मैं चाहूंगा कि यह रक्षासूत्र हर व्यक्ति में हाथ में हो, जिससे कोरोना के खिलाफ हम जंग जीत सकें।
बता दें, शिवम श्रीवास्तव कानपुर के रतनलाल नगर के रहने वाले हैं। 32 वर्षीय शिवम इन दिनों IIT कानपुर में सोलर एनर्जी रिसर्च एंक्लेव में बतौर प्रोजेक्ट इंजीनियर काम कर रहे हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के समय में वह अकेले ही इस डिवाइस को बनाने में लगे हुए थे और आखिरकार उन्हें सफलता मिली।