सुर्ख लाल रंग का फल स्ट्राबेरी का नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस फल की पैदावार पहले विदेशो में होती है लेकिन अब इसी फल की पैदावार भारत में होने लगी है और तो और अब किसान दूसरी फसलों के बजाय इसका उत्पादन करने लगे है. कुछ ऐसा ही किया कानपुर के एक किसान ने जिसने अपनी दो बिश्वा ज़मीन पर कैलिफोर्निया में विकसित कैमारोजा प्रजाति स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाकर खेती कर रहे है. स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले रमन इस समय रोजाना आठ सौ तक कमा रहे है.
रमन पहले अपने खेतो में गेंहू चावल और अरहर की फसलों को बोते थे.जिसमे आमदनी कम और खर्च ज्यादा होता था. कुछ समय पहले रमन को किसी ने स्ट्राबेरी की खेती करने की सलाह दी लेकिन गेंहू चावल और अरहर की खेती करने वाले रमन को इसके बारे में पता ही नहीं था. फिर एक दिन रमन की किस्मत पलटी और उनके एक दोस्त ने नेट पर दिखाया कि स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे की जाती है.
रमन ने अपने दोस्त की बात को माना और उनके दोस्त ने ही उनको कैलिफोर्निया में विकसित कैमारोजा प्रजाति के पौधे ख़रीदे। अपनी दो बिश्वा ज़मीन पर उन्होंने इन पौधों को रोपा और खाद पानी के जरिये उनकी सेवा करने लगे. रमन की मेहनत रंग लाई और उन पौधों में सफ़ेद रंग के फूल खिलने लगे. कुछ दिनों में ही उन फूलो में स्ट्राबेरी नजर आने लगी. जिसको देखकर रमन की ख़ुशी दुगनी हो गई.
घाटमपुर थाना क्षेत्र के भीतरगांव ब्लाक के अंतर्गत आने वाले दौलतपुर गांव के रहने वाले रमन की स्ट्रॉबेरी की खेती करने की चर्चा आम से ख़ास बन गई. उनके गांव वा आसपास के रहने वाले लोग रमन के खेतो में पहुंचकर स्ट्रॉबेरी को निहारने लगते है. रमन उनको मायूस नहीं करते और स्ट्रॉबेरी से उनका मुँह मीठा करा देते है. रमन के खेतो में पैदा हो रही स्ट्रॉबेरी की मांग बढ़ने लगी है जिसको देखते हुए अब वो अपनी बाकी ज़मीन पर भी स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाने का विचार कर रहे है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानो की काफी तारीफ़ करी थी. लेकिन कानपुर के इस किसान रमन को कोई सरकारी मदद नहीं मिली। फिर भी उन्होंने कुछ पैसे लगाकर सपने के साकार किया। बहुत से ऐसे किसान है जो इसकी खेती करना चाहते है. लेकिन सरकारी मदद ना मिलने से वो वंचित है. अगर ऐसे किसानो को सरकारी मदद मिले तो विदेशो में पैदा होने वाली स्ट्रॉबेरी का उत्पादन भारत में भी तेजी से होने लगेगा।