तृप्ति रावत/ कासगंज के गांव निजामपुर में रविवार को पहली बार किसी दलित की बारात घोड़ाबग्घी पर सवार होकर पहुंची। बैंड-बाजा के साथ बारात की चढ़ाई हुई। दरवाजे पर परंपराओं के अनुसार बारात का स्वागत किया गया। महिलाओं ने घोड़े पर सवार दूल्हा संजय की आरती उतारी और तिलक लगाया। इस बीच पुलिस की भारी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी। इस गांव में 80 साल बाद कोई दलित दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा। इस शादी के बाद जिला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है।
अभी तक निजामपुर गांव में दलितों को घोड़ी चढ़ने की इजाजत नहीं थी। दूल्हे ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सुरक्षा देने का भरोसा दिया था। बता दें कि इस बारात में गांव और दलित समाज के लोग भी शामिल हुए। लोगों ने बारात का जमकर लुत्फ भी उठाया। वहीं अपर पुलिस अधीक्षक पवित्र मोहन त्रिपाठी ने बताया कि गांव में बारात शांति से चढ़ गईं है। दुल्हन की विदाई तक गांव निजामपुर में पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात रहा और गांव में पुलिस फोर्स तैनात रहेगी।
वहीं जनपद में बीते कई महीनों से सुर्खियों में रही दलित संजय जाटव और शीतल की शादी का मसला आखिरकार निपट ही गया और वो दिन भी आ गया जिस दिन विवादित दलित दूल्हा, दुल्हन की शादी संजय जाटव की बारात गाजेबाजों के साथ धूमधाम से चढ़ गई। जिसको लेकर जिला प्रशासन ने एक रूटमैप भी तैयार किया था।
शादी के दौरान दुल्हन के परिजनों में ख़ुशी के साथ-साथ दहशत भी थी क्योंकि सवर्ण समाज के ठाकुर जाति के लोगों ने दलित दुल्हन शीतल के परिजनों को धमकी भी दी थी। कहते है कि यदि कोई व्यक्ति मन में कोई बात ठान ले तो उसे पूरा होते भी देखा है। इसकी बानगी आप दलित दूल्हा बने संजय से ले सकते है कि उसने 80 वर्षों से बना हुआ मिथक तोड़ दिया।
निजामपुर की इस शादी में 150 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने दलित दूल्हे संजय और दुल्हन शीतल की शादी का जिम्मा संभाल रखा था। इसके साथ ही विवादित और चर्चित दलित शादी की स्टोरी का भी दी एंड हो गया। बारात के मार्ग के घरों की छतों पर भी भारी मात्रा में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। वहीं एएसपी ने बताया गया कि एक प्लाटून पीएसी के अलावा दो इंस्पेक्टर, 12 एसओ, 12 उपनिरीक्षक, 70 कांस्टेबल एवं 10 महिला कांस्टेबल के अलावा होमगार्ड आदि व पुलिस फ़ोर्स की भारी मात्रा में तैनाती की गई है।