नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद श्री मनोज तिवारी ने आज केजरीवाल सरकार पर अलग-अलग 7 स्थानों पर अस्थायी अस्पताल बनवाने में करोड़ों रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है। एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने बताया कि इस मामले में दिल्ली की एक अदालत ने भी जांच के निर्देश भ्रष्टाचार निरोधक विभाग को दिया है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि प्रदेश के सात अलग-अलग स्थानों शालीमार बाग़, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय, जीटीबी अस्पताल परिसर, सरिता विहार और रघुवीर नगर में 1256 करोड़ रुपये की लागत से बनने थे। लेकिन पीडब्ल्यूडी के मंत्री सत्येन्द्र जैन और पीडब्ल्यूडी के इंजीनीयर इन चीफ शशीकांत की मिली भगत से जारी निविदाओं में भारी घोटाला किया गया। शशीकांत जो 31 अगस्त 2021 को सेवानिवृत्त होने वाले थे लेकिन उनकी सेवानिवृत्त के दिन ही एक ही कंपनी सैम इंडिया को निर्माण कार्य सौंप दिया गया और साथ ही निविदिओं की दर 14.75 प्रतिशत से 17.50 प्रतिशत तक यह कहते हुए बढ़ाया गया कि स्ट्रक्चरल ट्यूब के दाम बढ़ गए हैं। निविदाओं की दर बढने से टेंडर में पूरे 40 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश भाजपा मीडिया प्रमुख श्री नवीन कुमार जिंदल एवं प्रदेश प्रवक्ता श्री आदित्य झा उपस्थित थे।
श्री गुप्ता ने आरोप लगाया कि निविदाओं की दर को बढ़ाने का मतलब साफ-साफ इस मामले में बड़े घोटाले से है। द्वारका स्थित 1725 बिस्तरों वाला अस्पताल को अभी तक चालू न करके अस्थायी अस्पताल के ऊपर इतनी भारी रकम खर्च की गयी। द्वारका स्थित अस्पताल इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार की निर्माणाधीन अस्पतालों को पूरा करने में रुचि नहीं हैं। अस्थायी अस्पतालों के बहाने करोड़ों रुपये गबन करना केजरीवाल और उनके मंत्रियों की मंशा थी जो आज उजागर हो चुकी है। निर्माणाधीन अस्पतालों में इतना ‘कट’ नहीं मिल सकता था।
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल दूसरे राज्यों में जाकर अलग-अलग झूठे चुनावी वायदें कर रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि दिल्ली में कई तरह के घोटालों में उनकी सरकार लिप्त है जिसका जवाब उनके पास नहीं है क्योंकि जलबोर्ड घोटाला का ऑडिट नहीं हुआ, राशन घोटाला इत्यादी घोटालों के बारे में कोई जवाब नहीं है।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद श्री मनोज तिवारी ने कहा कि इस मामले में हमने जांच के लिए सीवीसी को पत्र लिखा है। केजरीवाल हमेशा दावा करते हैं कि हम किसी भी प्रोजेक्ट को कम में करने की कोशिश करते हैं लेकिन हकीकत ये है कि वह पहले ही किसी भी प्रोजेक्ट की लागत इतना अधिक कर देते हैं, जिसके बाद कम करने के बावजूद लागत बाजार की लागत से ज्यादा होती है और उनकी इसमें ‘कमाई’ होती है। उन्होंने कहा कि जिस सैम इंडिया कंपनी को यह प्रोजेक्ट सौपा गया है, उसे यह काम 6 महीना में पूरा करना है लेकिन यह संभव नहीं है कि कंपनी 200 करोड़ रुपये का काम एक माह में पूरा कर दें जबकि उसके पास पहले ही अन्य विभागों के भी काम है।
श्री तिवारी ने कहा कि 1256 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में हुए घोटाले में सतेन्द्र जैन एवं शशीकांत के अलावा चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी, अधिशांसी अभियंता आर के मल्होत्रा एवं एन के सोनकर भी शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस परियोजना को मंजूरी बाद में मिली लेकिन टेंडर पहले ही जारी कर दिया गया। आखिर अरविंद केजरीवाल दिल्ली के खजाने को कितना खाली करेंगे।