सीतापुर में केशव ग्रीन सिटी की जांच को बचाने के लिए बिल्डर द्वारा जिस तरह महिला को ढाल बनाकर पत्रकारों को फंसाने के प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ के कुछ बीजेपी नेताओं ने भी योगी सरकार के आदेशों को किनारे करके बिल्डर की अवैध कॉलोनी को बचाने के लिए सारे घोड़े खोल रखे हैं। सूत्रों की माने तो बीजेपी सरकार के कुछ मंत्रियों के नाम भी सीतापुर की केशव ग्रीन सिटी कॉलोनी की जांच को रुकवाने में चर्चा में हैं। तो वहीं बीजेपी संगठन के भी तमाम नेताओं ने भी सीतापुर जिला प्रशासन पर पत्रकारों को फर्जी फंसाने के लिए हर संभव कोशिशें कर रखी हैं।
दरअसल विगत 29 जून को जिलाधिकारी सीतापुर के जांच के आदेश के बाद न्यूज़ 18 के पत्रकार हिमांशु पुरी ने सीतापुर शहर में बन रही केशव ग्रीन सिटी की खबर कवरेज की। जिसके बाद डीएम अखिलेश तिवारी ने इस मामले में जांच के आदेश भी दिए। जिसके बाद यह खबर news18 उत्तर प्रदेश पर प्रमुखता से चली और इसका परिणाम यह रहा की सीतापुर बिजली विभाग के अधिकारियों के द्वारा केशव ग्रीन सिटी को एक नोटिस भेजी गई। इन सबके बाद कॉलोनी केशव ग्रीन सिटी के मालिक मुकेश अग्रवाल ने प्रार्थी पर ₹100000 मांगे जाने का आरोप बिना किसी साक्ष्य व प्रमाण के जिलाधिकारी के कमरे में लगा दिया और एक पुलिस को प्रार्थना पत्र देकर तमाम राजनीतिक दबाव के बाद 5 जुलाई को एक f.i.r. धारा 384 में हिमांशु पुरी व उनके भाई के खिलाफ दर्ज कराई। जिस पर पुलिस ने 4 दिन बाद सीआरपीसी की धारा 91 के तहत नोटिस देने के उपरांत कोई साक्ष्य न मिलने पर एफआईआर पर फाइनल रिपोर्ट लगा दी। जिसके विरोध में मुकेश अग्रवाल द्वारा हाईकोर्ट में रिट भी दाखिल की गई जो हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। हिमांशु पुरी पर दर्ज हुई f.i.r. में फाइनल रिपोर्ट लगाने के बाद हताश हुए मुकेश अग्रवाल ने विगत 9 जुलाई को एक महिला पूजा मिश्रा से हिमांशु पुरी व उसके भाई के खिलाफ एक प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक को भिजवाया। जिसमें ना ही कोई स्थान, ना ही कोई तिथि और ना ही कोई समय का महिला द्वारा जिक्र किया गया और सिर्फ हवा हवाई आरोप लगा दिए गए। इस प्रार्थना पत्र के तकरीबन 20 दिन बाद एक और प्रार्थना पत्र महिला पूजा मिश्रा द्वारा दिलवाया गया लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इन दोनों ही आरोपों में काफी भिन्नता थी।
इतना सब होने के बाद जब सीतापुर पुलिस अधीक्षक द्वारा इस प्रकरण पर से जांच पूरी कराई गई तो महिला के खिलाफ तमाम प्रार्थना पत्र और बयान पुलिस को प्राप्त हुए। इससे हताश बिल्डर मुकेश अग्रवाल व महिला के एक रिश्तेदार पत्रकार संदीप मिश्रा ने महिला का एक वीडियो बनाकर पुलिस को सौंपा। जिसमें महिला का बयान उसके प्रार्थना पत्रों से मैच नहीं खाता दिखाई दिया। लिहाजा इस मामले में अभी तक पुलिस द्वारा प्रार्थी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है और सिर्फ और सिर्फ मुकेश अग्रवाल व उनकी टीम के द्वारा प्रार्थी की निष्पक्ष पत्रकारिता को खत्म करने और उसको झूठे मुकदमे में फंसाकर पत्रकारिता के पेशे से बाहर करने की एक बड़ी कूटनीतिक साजिश रची गई है। यही नही तमाम राजनैतिक पेश बंदी भी पत्रकारों के विरुद्ध की जा रही है। जिसकी जानकारी सीतापुर के पुलिस अधिकारियों को बखूबी है। यही नही अभी कुछ दिन पूर्व सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा भी सिंचाई विभाग को कॉलोनी के नदी से सटे हिस्से की जांच के आदेश दिए गए हैं।
केशव ग्रीन सिटी के अवैध होने के कुछ प्रमाण
1- सीतापुर महायोजना 2021 के अंतर्गत चिन्हित भूमि पर कमर्शियल नक्शे पास कराकर भवन आवासीय बनाए गए
2- केशव ग्रीन सिटी कॉलोनी का कोई भी लेआउट plan सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय से आज तक नहीं पास हुआ और वहां भवन में प्लाट खरीदने वालों को प्रपोज्ड लेआउट प्लान दिखा कर बिक्री की जा रही।
3- कॉलोनी के पिछले हिस्से में बह रही पेरई रही नदी को भी नहीं बख्शा गया और नदी से सटाकर ही बाउंड्री निर्माण का कार्य किया जा रहा है जबकि नदी में पानी का तेज बहाव है।
4- कॉलोनी में 132000 व 220 केवी के टावर पार्कों के अंदर लगे हैं और उनकी लाइनें मकानों के ऊपर से गई हुई है।
5- कॉलोनी बनाने में नेशनल हाईवे, पॉल्यूशन, दमकल, वाटर कमीशन, रेरा आदि में किसी प्रकार का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है।