मेरठ। देश के प्रख्यात पत्रकार एवं राष्ट्रीय मीडिया गुरु प्रो. केजी सुरेश को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया है। मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा जारी आदेश में चार वर्ष की अवधि के लिए प्रो. सुरेश को विश्वविद्यालय का पदभार दिया गया है। पत्र के अनुसार विश्वविद्यालय के महापरिषद के अध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके नाम पर अंतिम मोहर लागाई।
इस मौके पर केजी सुरेश के प्रथम बैच के प्रथम छात्र तथा सुभारती पत्रकारिता संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने केजी सुरेश को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रो. केजी सुरेश देश के एक ऐसे शिक्षाविद् हैं, जो नित नए प्रयोगों के लिए जाने जाते है। उन्होंने सामाजिक और राष्ट्र चिंतन के अग्रदूत के रूप में पत्रकारिता को मिशन और सामाजिक दायित्व के रूप में प्रतिस्थापित किया है। मेरे लिए यह गौरव की बात हैं कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि उनके नेतृत्व में एक नई राह पर चलेगा।
उनके जीवन में कई बार ऐसी विषम परिस्थितियां आई जिनका वक्त से लड़कर उन्होंने सामना किया और आज वक्त उनके साथ है और पूरे देश के पत्रकार एवं पत्रकारिता के शिक्षक भी। प्रो. सिंह ने बताया कि सुभारती पत्रकारिता संकाय के लिए यह गौरव का विषय हैं क्योंकि हमारे महाविद्यालय में भी प्रो. सुरेश बतौर विजिटिंग प्रोफेसर हमारा मार्गदर्शन करते रहे हैं। उनकी सफलता पर सुभारती पत्रकारिता महाविद्यालय के सभी शिक्षक और गैर-शिक्षक अधिकारी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रो. केजी सुरेश कई अहम दायित्वों को निभा चुके है। केजी सुरेश भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक के अलावा दूरदर्शन में वरिष्ठ सलाहकार सम्पादक, एशिया नेट न्यूज नेटवर्क के सम्पादकीय सलाहकार, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के मुख्य राजनीतिक संवाददाता, दालमियां भारत इंटरप्राइजेज लिमिटेड में ग्रुप मीडिया सलाहकार, ग्लोबल फाउंडेशन ऑर सिविलाइजेशन हार्मनी में निदेशक के अलावा विवेकानन्द इंटरनेशनल फाउंडेशन के वरिष्ठ फैलो, संपादक और प्रवक्ता रह चुके है। वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ पैट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज के स्कूल ऑफ मास मीडिया में बतौर डीन कार्यरत है।
प्रो. केजी सुरेश ने आधुनिक पत्रकारिता को एक नई दिशा और उर्जा दी है। आईआईएमसी के डीजी रहते हुए उन्होंने भाषाई पत्रकारिता के संवर्धन में अहम योगदान दिया और विभिन्न भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता का शिक्षण-प्रशिक्षण प्रारंभ किया। आईआईएमसी को पत्रकारों एवं मीडिया एजुकेटर का एपि सेंटर बनाने में प्रो. सुरेश का अहम योगदान है। उनके अथक प्रयास से आईआईएमसी को डीम्ड विश्वविद्यालय बनाए जाने का कार्य प्रारंभ हुआ जिसमें उन्होंने लेटर ऑफ इंटैंट प्राप्त कर लिया था। हालांकि यह कार्य रूका हुआ है लेकिन भविष्य में अगर आईआईएमसी विश्वविद्यालय बनता है, तो इसका श्रेय केजी सुरेश को जाएगा।
इतना ही नहीं प्रो. सुरेश ने भारतीय जनसंचार संस्थान के विभिन्न केंद्रों में आपसी तालमेल बैठाने का अहम कार्य किया। लॉकडाउन में प्रो. केजी सुरेश ऐसे मीडिया एजुकेटर रहे जिन्होंने संवाद संस्थापना का कार्य निरंतर किया और पत्रकार और पत्रकारिता को राह दिखाई। उनके द्वारा पढ़ाए गए विभिन्न विद्यार्थी आज देश में पत्रकारिता की कमान संभाले हुए हैं एवं बड़े-बड़े पदों पर कार्यरत है। उल्लेखनीय है कि पत्रकारिता में शिक्षा प्रदान करने का उनका सफर 1999 में दिल्ली विश्वविद्यालय के भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय से शुरू हुआ जिसमें प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को उन्होंने अपराध, खोजी और राजनीतिक पत्रकारिता के गुर सिखाएं। इस बैच के लगभग सभी विद्यार्थी उम्दा पत्रकारों के रूप में कार्यरत है।