मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के गणेश शंकर विद्यार्थी सुभारती पत्रकारिता एवं जनसंचार महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। इस सम्मेलन का विषय “मीडिया की विश्वसनीयता” रहा, जिसमें मुख्य अतिथि आईआईएमसी नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रो. केजी सुरेश, विशिष्ट अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय़ के प्रो. अरुण भगत और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. बिजेंद्र सिंह रहे। सम्मेलन की अध्यक्षता पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पीसी पांतजंलि ने की। सुभारती विश्वविदयालय के कुलपति डॉ. एनके आहूजा चीफ पैट्रिन के तौर पर शामिल हुए। विषय प्रवर्तन सुभारती पत्रकारिता एवं जनसंचार महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने किया। सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। इस मौके पर भाषायी पत्रकारिता को बढ़ावा देने के महाविद्यालय के संकल्प के तहत भाषाई दीप प्रज्ज्वलन भी किया गया। इस दौरान सभी अतिथियों को पटका पहनाकर और स्मृति चिन्ह् भेंट कर सम्मानित किया गया। इस दौरान स्टूडियो लैब का उद्धाटन भी किया गया।
इस मौके पर विवि की संस्थापिका डॉ. मुक्ति भटनागर ने शिरकत की और अतिथियों का धन्यवाद दिया। इस दौरान उन्होंने महाविद्यालय के मैंटोर सिस्टम का अवलोकन भी किया और मैंटोर सिस्टम तथा महाविद्यालय के कार्य के लिए विद्यार्थियों की सराहनी की।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि और आईआईएमसी नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रो. केजी सुरेश ने मीडिया की विश्वसनीयता पर बोलते हुए कहा कि मेरा भाषायी पत्रकारिता से एक अलग जुडाव है और जमीनी पत्रकारिता को समझने के लिए भाषायी पत्रकारिता का होना जरूरी है। आज का पत्रकार गूगल का आदि हो चुका है, जिसके कारण पत्रकारिता में खोज खत्म हो गई। आज मीडिया की विश्वसनीयता इसलिए कम हो गई है क्योंकि आज पत्रकार बिना कुछ पढ़े लिख रहा है और बिना सुने बोल रहा है। उन्होंने फेक न्यूज के बारें में बोलते हुए कहा कि आज फेक न्यूज की वजह से समाज में नकारात्मक भाव पैदा हो रहा है। आज के समय में पत्रकार बनने की जरुरत हैं न कि पक्षकार।
सम्मेलन के अध्यक्षता करते हुए प्रो. पीसी पांतजंलि ने कहा कि विश्वास शब्द खुद से शुरू होना चाहिए और इसे सबसे पहले खुद में निखारकर देखने की जरूरत है, क्योंकि यदि हम स्वंय विश्वसनीय नहीं तो हम किसी भी योग्य नहीं। उन्होंने आगे कहा कि मीडिया की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए पत्रकार को सजग होने की जरूरत है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. अरूण भगत ने कहा कि पत्रकारिता एक ऐसा माध्यम है जिससे हम समाज की छवि को देखते है। किसी भी जगह की स्थिति को जानने के लिए वहां की पत्रकारिता देख लेनी चाहिए। साथ ही प्रो. अरूण ने कहा कि सोशल माडिया के कारण पत्रकारिता की विश्वसनीयता कम हो रही है। जिससे लोगों का मीडिया पर से विश्वास उठता जा रहा है। आज का पत्रकार अपने विचार परोसने का काम कर रहा है, जबकि उसे याद होना चाहिए कि इसके लिए समाचार पत्रों में सम्पादकीय पृष्ठ मौजूद है जहां वह विचार प्रस्तुत कर सकता हैं।
विशिष्ट अतिथि प्रो. बिजेन्द्र सिंह ने कहा कि जो पत्रकारित का स्तर बदल चुका है। आज के समय में सभी के पास डिजिटल मोबाइल है। जिसकी सहायता से सभी लोग खबरों के स्थानांतरण का काम कर रहें है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आज हर कोई खुद में एक पत्रकार है लेकिन वहां गेटकिपिंग जैसा कोई काम नहीं हो रहा है, जिससे पत्रकारिता पर गहरा असर पड़ रहा है।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एनके आहूजा ने कहा कि विश्वसनीयता एक ऐसा शब्द हैं जिसका संबंध हर एक व्यक्ति और कार्य से है। अपनी हर भूमिका में हमें विश्वनीय होना चहिए लेकिन यह विश्वसनीता की भूमिका और भी अधिक बढ़ जाती हैं जब यह पत्रकारिता और पत्रकार से जुड़ जाता है। इस तरह के प्रसांगिक विषय पर सम्मेलन का आयोजन करने के लिए महाविद्यलय को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उम्मीद हैं कि यह महाविद्यालय इस विषय की महत्ता को समझते हुए इसको अपनी जिंदगी में आत्मसात करने की भी कोशिश करेगा।
इस दौरान पत्रकारिता एवं जनसंचार महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने विषय का परिचय देते हुए कहा कि इस विषय पर बात होनी बेहद आवश्यक है। इस विषय को विस्तार से समझने की जरूरत है क्योंकि लोगों का मीडिया से विश्वास उठता जा रहा है। इसको पहले जैसी बनाए रखने के लिए इस तरह के सम्मेलन होने जरूरी है और यही इस सम्मेलन को आयोजित करने का उद्देश्य है।
मीडिया और पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर पहला तकनीकी सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता एमईआरआई कॉलेज के डॉ. दिलीप कुमार ने किया वहीं मुख्य वक्ता के तौर पर आईएमएस नोएडा के विजय शर्मा तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर अमेटी विश्विविद्यालय जयपुर के डॉ. साकेत रमन मौजूद रहे। इस सत्र में विभिन्न विश्वविद्यालय के 11 शोधार्थियों एंव प्राध्यापकों ने विभिन्न विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किये। इस सत्र का आयोजन बीनम यादव और प्रीति सिंह ने संयुक्त रुप से किया। सत्र का मंच संचालन सिद्धांत बेदी और रिपोर्ट प्रस्तुती राहुल सिंघल ने किया।
इस मौके पर विधि संकाय के प्राचार्य डॉ. वैभव गोयल, शारीरिक शिक्षा संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप चौधरी भी मौजूद रहे। डॉ. गुंजन शर्मा तथा डॉ. मुदस्सीर सुलतान सम्मेलन के सह-संयोजक रहे। उद्घाटन सत्र का संच संचालन सिद्धांत बेदी, महिमा चौहान, वंशिका सैनी जया कुमारी तथा महक आफरीन ने संयुक्त रुप से किया। सम्मेलन को सफल बनाने में विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर अशोक त्यागी, बीनम यादव, प्रीति सिंह और यासिर अरफात के अलावा प्रिंस चौहान, संजय जुगरान, कर्ण सिंह ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। विद्यार्थियों में रोहित चौधरी, हद्यांश राज, साक्षी शर्मा, सारांश, जया कुमारी, पूजा सहानिया, वंशिका सैनी, जोया अंसारी, सीकेब मजीद, अभिषेक, सीमा डबास, सहित अन्य विद्यार्थियों ने अहम भूंमिका अदा की।