त्रिपुरा पुलिस द्वारा 102 लोगो पर लगाए UAPA को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट हुआ राज़ी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कई लोगों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई हैं। और एक तारीख तय करने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैं।
बीते हफ्ते कई लोगों ने त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा के लिए मोदी सरकार पर आरोप लगाया था। जिसके बाद त्रिपुरा पुलिस ने पत्रकारों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं सहित 102 लोगो पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था। इसी मामले में कई लोगो ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी की, इन सभी 102 लोगो के खिलाफ त्रिपुरा पुलिस की एफआईआर पर सुनवाई हो और सभी मामले रद्द किये जाये।
मालूम हो कि, त्रिपुरा पुलिस ने पत्रकारों और 102 सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है। इन सभी लोगो पर आपराधिक साजिश और जालसाजी का भी आरोप लगाया है। पुलिस ने ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब को नोटिस भेजकर इन सभी 102 लोगो के अकाउंट फ्रीज करने और उनके बारे में जानकारी मांगी है। इन सभी लोगो पर आपराधिक साजिश और जालसाजी का आरोप लगाया है।
रिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मामले की तत्काल सुनवाई करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.रमना को बताया कि, त्रिपुरा राज्य पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के खिलाफ भी यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया हैं। जो एक तथ्य-खोज दल का हिस्सा थे, जिसने त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा की कथित घटनाओं पर एक रिपोर्ट जारी की थी। ये वकील त्रिपुरा में इन घटनाओं की जांच करने वाली फैक्ट फाइंडिंग टीम का हिस्सा थे। सोशल मीडिया यूजर्स जिन्होंने ‘त्रिपुरा इज बर्निंग’ जैसे संदेश पोस्ट किए हैं, उन पर भी यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं। ये सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि, याचिकाकर्ता पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते थे। जिसके बाद प्रशांत भूषण ने जवाब दिया कि याचिका ने यूएपीए में कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को भी चुनौती दी हैं।
भूषण ने उत्तर दिया “उदाहरण के लिए, ‘गैरकानूनी गतिविधि’ शब्द को एक बहुत, बहुत व्यापक परिभाषा दी गई है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि यूएपीए के तहत आरोपित व्यक्ति गिरफ्तारी के खतरे में हैं। और सुप्रीम कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया।
अंत में मुख्य न्यायाधीश रमना ने जवाब दिया, “हां मैं सुनवाई के लिए एक तारीख दूंगा। “
ये भी मालूम हो कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने हाल ही में त्रिपुरा पुलिस द्वारा इस मामले में कठोर यूएपीए लागू करने की कड़ी निंदा की थी।