आकाश रंजन: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को सोमवार शाम प्रयागराज में संदिग्ध परिस्थिति में मृत पाया गया। बताया जा रहा है कि महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की है। पुलिस सूत्रों के अनुसार महंत का शव उनके कमरे में नायलॉन की रस्सी के फंदे से लटका मिला। कमरे के दरवाजे अंदर से बंद पाए गए थे। बाद में मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया।
बरामद सुसाइड नोट में महंत के शिष्यों में से एक गुरु आनंद गिरी के साथ आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी का नाम भी शामिल है। कथित आत्महत्या के मामले में पुलिस ने गुरु आनंद गिरी को हरिद्वार से और और दोनो तिवारी को प्रयागराज में गिरफ्तार कर लिया गया है।
अतिरिक्त महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार के अनुसार, जांच जारी है और मौके पर फोरेंसिक टीम को भी भेजा गया है। 72 वर्षीय महंत को अक्टूबर 2019 में दूसरे कार्यकाल के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का प्रमुख चुना गया था।
महंत नरेंद्र गिरि कि मौत के बाद यह इस आश्रम में लगातार तीसरी मौत है
पिछले कुछ सालो से अखिल भारतीय अखाड़ा में मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है। महंत नरेंद्र गिरि कि मौत के बाद यह इस आश्रम में लगातार तीसरी मौत है जो संदिग्ध परिस्थितियों में पायी गयी। इससे पहले इसी अखाड़े में महंत गंगापुरी और पूर्व सचिव आशीष गिरी की मौत भी हो चुकी है। कुछ महीने पहले आनंद गिरी ने पुलिस को लिखती शिकायत भेजी थी। और दोनों महंतो कि कथित खुदखुशी को हत्या बताया था। आनंद गिरी कि लिखित शिकायत तब एक निजी अखबार ने भी छापी थी। पुलिस को भेजी लिखित शिकायत में उन्होंने कहा था कि दोनों महंतो की मौतों को आत्महत्या बताकर सच्चाई पर परदा डाला गया है। उनके अनुसार दोनों कि संदिग्ध मौत की जांच की जानी चाहिए।
महंत आशीष गिरि की मौत पर सीबीआई जांच की मांग भी उठ चुकी है
निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत आशीष गिरि नवंबर 2019 में अपने आश्रम में मृत पाए गए थे। पुलिस ने उनकी मौत को भी खुदकुशी करार दिया था। सुबह नौ बजे के करीब आश्रम के कमरे में संदिग्ध हालत में गोली लगने से उनकी मौत हुई थी। वह बिस्तर पर मृत पड़े मिले थे। पुलिस का दावा था कि उनकी हथेली में पिस्टल फंसी मिली और बगल मेें ही खोखा रखा हुआ था। इसी आधार पर मामले को खुदकुशी बताया गया था। हालांकि पुलिस की इस थ्योरी पर कई सवाल भी उठे थे। मसलन मौके पर दो खोखों का मिलना, घटना के वक्त आश्रम में मौजूद लोगों का गोली चलने की आवाज न सुनना और उन्हें घटना की जानकारी काफी देर बाद होना आदि समेत कई ऐसे सवाल थे, जिनका जवाब आज तक नहीं मिल सका।
जिसके बाद परी अखाड़ा की पीठाधीश्वर त्रिकाल भवंता और वकीलों ने कहा, पुलिस दोषियों को बचाने का काम कर रही। मुख्यमंत्री को भी इस मामले में चिट्ठी लिखी गयी थी। वकीलों के अनुसार अखाड़े के प्रभावशाली लोगों पर जताया शक जताया गया था।
क्या है पूरा मामला और संतो के मौतों के पीछे की कहानी
महंत नरेंद्र गिरी के घनिष्ठ मित्रत थे आरएन सिंह जो रेलवे में आईजी थे। महंत नरेंद्र गिरी उनके परिवार के साथ मठ की जमीन बेचने को लेकर बात कर रहे थे। मठ के लोगो ने विरोध करना शुरू किया। इस बात से आरएन सिंह नाराज हो गये। आईजी आरएन सिंह ने मठ में धरने पर बैठ गए और मठ के महंत के साथ मठ के लोगों पर कार्यवाही की मांग करने लगे। फिर मुलायम सिंह से बात की गयी और आरएन सिंह को सस्पेंड किया गया।
फिर 2011 में महंत नरेंद्र गिरी की मित्रता महेश नारायण सिंह नाम के एक राजनीतिक व्यक्ति से हुई। बातचीत के बाद भूमाफिया शैलेंद्र सिंह को मठ की सात बीघा जमीन बेच दी गई। जिसमे से 2 बीघा जमीन शैलेंद्र सिंह ने महेश नारायण को दे दी। विवाद होने के बाद 2018 में महंत नरेंद्र गिरी ने लगभग 80 बीघा जमीन आनंद गिरी के नाम पर लीज कर दी। फिर 2020 में महंत नरेंद्र गिरी ने आनंद गिरी के नाम कि गयी जमीन की लीज कैंसिल कर दी। यहीं से इन दोनों में विवाद शुरू हुआ।
बता दे कि निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत मृत आशीष गिरि ने इन सभी ज़मीन के सौदे पर आपत्ति जताई थी और विरोध भी किया था।
साधू संत तो मोहमाया के त्याग के लिए जाना जाता है लेकिन यहाँ तो कहानी कुछ और ही है
आनंद गिरी अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरी पर आरोप लगाते है कि महंत जी अपने लड़के अजय सिंह जो सिपाही है। उसके नाम दो बड़े फ्लैट मठ कि ज़मीन बेच कर लिए गए हैं। अजय सिंह के नाम पर कई बेनामी संपत्ति भी खरीदी गई है। आगे आनंद गिरी आरोप लगाते है महंती जी के ड्राइवर विपिन सिंह को भी बड़ा मकान बनाकर दे दिया गया है। महंत नरेंद्र गिरी पर अपने कई विधार्थियों को भी करोड़ो रूपये का मकान बना कर देने का आरोप लगाते है आनंद गिरी। मठ में दुकान से लेके ज़मीन तक महंत नरेंद्र गिरी ने अपने विधार्थियों और रिश्तेदारों के नाम कर दी है। आनंद गिरी के अनुसार महंत नरेंद्र गिरी ने मठ को बर्बाद कर दिया है। 2018 में महंत नरेंद्र गिरी पर पेट्रोल पंप खोलने के लिए लगभग 80 बीघा जमीन लीज पर लेने का भी आरोप है।
31 जुलाई 2015 को महंत नरेंद्र गिरी ने सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद का पट्टाभिषेक कर निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया था। तब के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव और पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह भी मौजूद थे इस पट्टाभिषेक में।बता दे कि सचिन नोएडा में दिल्ली-एनसीआर के सबसे बड़े डिस्को के साथ साथ बीयर बार के संचालक भी है।