महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, चौकमाफी, गोरखपुर द्वारा ब्लॉक भटहट के ग्राम अतरौलिया में “धान में रासायनिक उर्वरक की संतुलित मात्रा एवं जैव उर्वरक उपयोग” विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ संदीप प्रकाश उपाध्याय द्वारा किसान बंधुओं को धान की फसल में उर्वरक प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताते हुए बताया कि यूरिया उर्वरक को एक साथ देने की बजाए टुकड़ों में देने से पोषक तत्व की दक्षता बढ़ती है एवं पौधों में उर्वरक की दी जानी वाली मात्रा भी कम हो जाती है।
डीएपी या सिंगल सुपर फॉस्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश, तथा जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा रोपाई के समय दे देनी चाहिए जबकि यूरिया की मात्रा को तीन भागों रोपाई के समय, रोपाई के 25 दिन पश्चात तथा रोपाई के 45 दिन पश्चात दी जानी चाहिए। साथ ही उर्वरक की मात्रा फसल अनुसार एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार की जानी चाहिए अतः किसान बंधुओं को अपने खेत की मृदा की जांच अवश्य करानी चाहिए एवं फसलों में रासायनिक उर्वरक के साथ-साथ गोबर की खाद कंपोस्ट खाद अथवा हरी खाद का प्रयोग भी अवश्य किया जाना चाहिए।
डॉ उपाध्याय ने जैव उर्वरक के उपयोग के तरीके जैसे बीज उपचार, मृदा उपचार तथा जड़/कंद उपचार के बारे में विस्तार से किसान बंधुओं को अवगत कराया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र एवं नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड के द्वारा दो दर्जन किसानों को फास्फोरस घोलक जीवाणु जैव उर्वरक का निशुल्क वितरण भी किया गया।
जैव उर्वरक का वितरण ग्राम प्रधान अतरौलिया श्री घनश्याम दास जयसवाल द्वारा किया गया एवं उन्होंने इस कार्यक्रम को किसान बंधुओं के लिए उपयोगी बताया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्राम प्रधान तथा श्री अशोक मिश्रा, नरदेश्वर त्रिवेदी, अखिलेश कुमार सहित दो दर्जन किसान बंधु उपस्थित रहे।