नई दिल्ली।आज दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा है कि यह दुखद है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार एवं उपराज्यपाल के बीच अधिकारों एवं दायित्वों की लड़ाई पर निर्णय सुनाये जाने के एक दिन के भीतर ही सरकार, अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर उपराज्यपाल से नया विवाद उत्पन्न कर रही है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में अधिकारियों की सेवाओं को लेकर कोई टिप्पणी नहीं है पर अपनी गत 3 साल की परिपाटी को जारी रखते हुये निर्णय के बाद जनसेवा में लगने के स्थान पर केजरीवाल सरकार अधिकारियों की नियुक्ति एवं तैनाती के विवाद को ही पुनः आगे बढ़ा रही है। ऐसा लगता है इस सबके पीछे इस सरकार का कोई गुप्त एजेंडा है वर्ना किसी अधिकारी के किसी पद पर नियुक्त होने से व्यवस्था को कोई फर्क नहीं पड़ सकता क्योंकि व्यवस्था तो अंततः नियमों से ही चलती है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखकर कहा है कि गत 3 साल से दिल्ली में राजनीतिक कारणों से उत्पन्न किये गये प्रशासकीय गतिरोध का सबसे बड़ा नुकसान शहर के विकास के ठप्प होने के रूप में हुआ है।
पत्र में कहा गया है कि आज दिल्ली पानी एवं बिजली की कमी और चरमराई हुई सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के कारण कराह रही है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के कल के निर्णय के बाद दिल्ली की जनता ने समझा था कि सरकार पानी, बिजली, सार्वजनिक परिवहन और प्रदूषण की स्थिति को सुधारने के लिये कार्य करने को प्राथमिकता देगी पर यह दुखद है कि सरकार ने पुनः अधिकारियों का लेकर विवाद प्रारम्भ कर दिया है।
भाजपा अध्यक्ष तिवारी ने कहा है कि केजरीवाल सरकार को अब राजनीतिक उद्देश्य से विवाद खड़ा करना बंद करके दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने और शहर की बिजली, पानी, परिवहन व्यवस्था आदि सुधारने पर ध्यान देना चाहिये।
पत्र में तिवारी ने मांग की है कि सरकार प्रशासनिक विवादों से परे होकर अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुये निजी बिजली कंपनियों के खातों का आॅडिट कराये, फिक्सड चार्ज की वृद्धि को वापस ले और जनता से गत चार माह में वसूले 800 करोड़ रूपये वापस करवाये। साथ ही दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को सुधारने के लिये अविलंब 2000 बिजली की बसें खरीदें और दिल्ली के हर नागरिक को सरकार के संकल्प अनुसार पानी उपलब्ध करायें।