आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने कहा कि दिल्ली की जनता और विपक्षी पार्टियों की तरह ही अब केंद्र सरकार को भी भाजपा शासित एमसीडी पर भरोसा नहीं है और इसीलिए नाॅर्थ एमसीडी द्वारा मांग करने के बावजूद केंद्र सरकार ने 2000 करोड़ रुपए अभी तक नहीं दिया है। भाजपा शासित नाॅर्थ एमसीडी के मेयर ने 19 अक्टूबर को राज्य वित्तमंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात कर 2000 करोड़ रुपए मांगे थे। भाजपा शासित केंद्र सरकार को भी लगता है कि अगर वो पैसा देती है, तो उसे भी भाजपा नेता खा जाएंगे। बीजेपी को एमसीडी की सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। सिर्फ दिल्ली के लोग ही नहीं, बल्कि अब उनकी पार्टी के नेता भी बीजेपी शासित एमसीडी पर विश्वास नहीं करते हैं। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि एमसीडी में 2500 करोड़ रुपए के घोटाले को लेकर कांग्रेस क्यों चुप है? अभी तक कांग्रेस के किसी नेता या पार्टी की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया या विरोध नहीं जाहिर किया गया है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने पार्टी मुख्यालय में हुई एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम में कर्मचारियों के वेतन का संकट और भी ज्यादा गहराता जा रहा है। सिलसिलेवार तरीके से अलग-अलग विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के संबंध में सूचना देते हुए उन्होंने बताया कि जो निगम के अधीन सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं, उनको पिछले 4 महीने से वेतन नहीं मिला है। श्रेणी-4 के जो कर्मचारी हैं, उनको लगभग 5 महीने से वेतन नहीं मिला है, बी, सी, डी श्रेणी के कर्मचारियों को करीब 3 महीने से वेतन नहीं मिला है। ग्रुप सी के स्वास्थ्य कर्मियों को भी लगभग 3 महीने से वेतन नहीं मिला है। नगर निगम के अस्पतालों में कार्यरत नर्सों को पिछले 4 महीने से वेतन नहीं मिला है। नगर निगम के स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों का वेतन भी पिछले 3 महीने से उन्हें नहीं मिला है। ग्रुप बी के जो कर्मचारी हैं, उनको पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिला है। एलोपैथी विभाग में कार्यरत डॉक्टरों को पिछले 4 महीने से वेतन नहीं मिला है और ग्रुप ए के जो कर्मचारी हैं, उनको भी पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिला है।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि पिछले 15 सालों से भारतीय जनता पार्टी नगर निगम की सत्ता में स्थापित है, इसके बावजूद भाजपा अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही है। जिस प्रकार से पिछले 6 महीने से भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व केवल बयानबाजी और अपनी गलती दूसरों के सिर पर थोपने का प्रयास कर रहा है, उसको देखकर अब तो यह भरोसा भी उठता जा रहा है कि क्या यह कर्मचारियों के वेतन का इंतजाम कर भी पाएंगे या नहीं? भाजपा अपनी जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह से लापरवाह नजर आ रही है, परंतु घोटाले करने में भारतीय जनता पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ रही। उन्होंने बताया कि अक्सर नगर निगम के कर्मचारी हमारे पास आते हैं, अपनी समस्याएं हमसे साझा करते हैं और उनकी हताशा को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि उनका भरोसा भी अब भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व से उठ चुका है कि भाजपा उनको उनके हक का पैसा देगी। उन्होंने कहा कि सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि न केवल दिल्ली की जनता, नगर निगम के कर्मचारियों और विपक्षी पार्टियों का भरोसा भाजपा शासित नगर निगम से उठ चुका है, बल्कि खुद केंद्र में बैठी भाजपा सरकार का विश्वास भी दिल्ली की नगर निगम से उठ गया है। भाजपा की केंद्र सरकार को भी अब नहीं लगता कि दिल्ली नगर निगम दिल्ली कोई भी ऐसा काम कर रही है कि जिसके लिए उन को आर्थिक सहायता दी जाए।
उन्होंने बताया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर जयप्रकाश 19 अक्टूबर 2020 को राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर से मिले थे। हमें ऐसा सुनने में आया है कि मेयर साहब ने राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर से नगर निगम के लिए लगभग 2000 करोड़ रुपए की सहायता का प्रस्ताव उनके समक्ष रखा था। बेहद ही अफसोस के साथ हमें यह बताना पड़ रहा है कि लगभग ढाई महीना बीत चुका है, परंतु केंद्र की ओर से अभी तक उत्तरी नगर निगम के मेयर साहब जय प्रकाश के निवेदन पर कोई सुनवाई नहीं की गई है। सहायता के नाम पर अब तक केंद्र में बैठी भाजपा सरकार ने एक भी रुपया भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम को नहीं दिया है। केंद्र में बैठी भाजपा सरकार द्वारा भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम की इस अपील को अनदेखा करना, इस बात को सत्यापित करता है कि अब तो केंद्र को भी भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम पर भरोसा नहीं रहा, उन्हें भी शायद यह लगने लगा है कि यदि यह 2000 करोड रुपए उनको दिए गए, तो नगर निगम में स्थापित भाजपा के नेता इन पैसों को भी डकार जाएंगे। यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम केंद्र में बैठी अपनी ही पार्टी की सरकार का विश्वास नहीं जीत पा रही है।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश भर में करीब 20 लाख करोड रुपए की वित्तीय सहायता राज्यों को दी है। परंतु दिल्ली में भाजपा शासित नगर निगम को अपील करने के बावजूद 2000 करोड़ की सहायता नहीं दी। हमें ऐसा लगता है कि यदि भारतीय जनता पार्टी नगर निगम के अधीन काम करने वाले लाखों कर्मचारियों की भलाई चाहती है और यदि भाजपा चाहती है कि भविष्य में कर्मचारियों के साथ इस प्रकार की समस्याएं पैदा ना हो, तो उनको नैतिकता के आधार पर नगर निगम की सत्ता से इस्तीफा दे देना चाहिए और नगर निगम की सत्ता छोड़ देनी चाहिए। दुर्गेश पाठक ने कांग्रेस की मंसा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि दिल्ली नगर निगम में ढाई हजार करोड़ रुपए का घोटाला हो गया, लेकिन अभी तक कांग्रेस के किसी भी नेता की ओर से या कांग्रेस पार्टी की ओर से, न तो कोई प्रतिक्रिया आई और न तो कोई विरोध जाहिर किया गया। कांग्रेस इस पूरे प्रकरण में क्यों चुप है?