इससे पहले यू.पी. मेट्रो ने मेट्रो यात्रा टोकनों को यूवी किरणों से सैनिटाइज करने का भी सफल प्रयोग किया है जो कि सफलता पूर्वक जारी है। ये तकनीक यूपी मेट्रो ने खुद विकसित की थी जो कि कोविड के बाद काफी अहम तकनीक साबित हुई है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए अब यूपीएमआरसी ने पूरी ट्रेन को ही अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से सैनिटाइज करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। लखनऊ मेट्रो ने सैनिटाइजेशन उपकरण बनाने वाली एक निजी कंपनी के साथ मिलकर यूवी लैंप विकसित किया है जो कि पराबैगनी कीटाणुनाशक विकिरण प्रणाली पर काम करता है।
इस उपकरण में 254 नेनो-मीटर तक की शॉर्ट वेवलेंथ वाली अल्ट्रवॉयलेट-सी किरणों के जरिए सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट किया जाता है। ये किरणें इन सूक्ष्म जीवों के डीएनए व न्यूक्लीक ऐसिड को नष्ट कर इनका नाश कर देती हैं। अक्टूबर, 2020 में इस उपकरण को डीआरडीओ से मंजूरी मिली थी। वहीं, इस उपकरण को इस्तेमाल करने में कीमत भी काफी कम आती है। यूवी लैंप से सैनिटाइजेशन सोडियम हाइपोक्लोराइट की तुलना में बेहद सस्ता भी है। एक आंकड़े के मुताबिक यूवी लैंप के जरिए सैनिटाइजेशन से लागत 40 गुना तक कम भी हो जाएगी।
यूपीएमआरसी में प्रयोग किए जा रहे इस उपकरण के जरिए 30 मिनटों में ही एक मेट्रो ट्रेन के सभी कोच सेनिटाइज किए जा सकता हैं। रिमोट के जरिए संचालित इस उपकरण को ऑन करने के 1 मिनट बाद मशीन से रेडिएशन निकलना शुरू होता है। गौरतलब है कि चिकित्सा क्षेत्र में ऑपरेशन थियेटर को सेनिटाइज करने के लिए इसी किस्म के उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है।
यूवी सैनिटाइजेशन उपकरण के प्रयोग पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने कहा कि, ‘‘यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है। जब हमने यूवी रेडिएशन के जरिए टोकन सेनेटाइज करने की शुरूआत की थी, तब भी हमें यात्रियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी। अब हम पूरी ट्रेन को यूवी के जरिए सेनिटाइज करने की प्रक्रिया शुरू की है। इस नई पहल के जरिए हम जनता को एक सुरक्षित सफर का आश्वासन देते हैं।‘‘