महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा वैश्विक महामारी से बचाव तथा कटाई, भंडारण के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों से किसान बंधुओं को कराया अवगत
कोविड-19 वायरस के कारण लॉकडाउन के दौरान किसान भाइयों के लिए रबी फसलों की कटाई- मड़ाई, भंडारण व अन्य आवश्यक कार्य हेतु समसामयिक सलाह तथा सावधानियों के बारे में महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, चौकमाफी, गोरखपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ आर पी सिंह के द्वारा बताया गया कि कृषक बंधुओं को इस वैश्विक महामारी के दौर में अपने आप को सुरक्षित रखते हुए तथा भारत सरकार व राज्य सरकार जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए गेहूं, चना, मटर, जो, मसूर की फसल जो कि पककर तैयार है उसकी समय से कटाई मड़ाई का कार्य कर लें l फसलों की कटाई करते समय कृषक बंधु, मजदूर मास्क अवश्य लगाएं तथा 5- 6 फीट की दूरी बनाए रखें साथ ही कृषि उपकरणों तथा औजारों को सही तरीके से सैनिटाइज कर ही प्रयोग करें इसके लिए किसान भाई आइसोप्रोपेनॉल, मेथनॉल, इथेनॉल अथवा साबुन के घोल का कम से कम 20 सेकंड के लिए प्रयोग करें तथा खेत में कार्य के पश्चात भी सैनिटाइज कर लें l डॉ सिंह के द्वारा बताया गया की केंद्र के द्वारा किसानों को मास्क व सैनिटाइजर भी वितरित किया जा रहा है तथा कृषक बंधुओं को भारत सरकार व केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा- निर्देशों के बारे में भी बताया जा रहा है l किसान बंधु यह भी ध्यान रखें कि खलिहान में रखे फसल व अनाज के ऊपर बिजली का तार ना हो और बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू आदि का प्रयोग खलिहान में कभी ना करें l मड़ाई करते समय ध्यान रखें कि फसल अच्छी तरह से सूखी हो, थ्रेसर में सावधानी से लगाएं, थ्रेसर के मुंह तक पहुंचाने के लिए चौकी या तखत का प्रयोग करें जिससे दुर्घटना से बचा जा सके l अनाज भंडारण करने से पूर्व अनाज को कड़ी धूप में इतना सुखाएं कि उसमें नमी की मात्रा 8 से 10% से अधिक ना हो l अनाज भंडारण से पूर्व भंडारघर को कीटनाशी से भी विसंक्रमित अवश्य करें, जहां तक संभव हो भंडारण में एक ही प्रकार के अनाज का भंडारण करें, अनाज को 100 :1 के अनुपात में नीम बीज पाउडर के साथ मिलाकर रखें l गेहूं में 200 ग्राम लहसुन की गांठ प्रति कुंतल की दर से मिलाकर रखें, अनाज भंडारण में नीम की सूखी पत्तियों या सूखी मिर्च का भी प्रयोग किया जा सकता है l यदि अनाज को बोरियों में भरकर रखना हो तो नीचे पर्याप्त मात्रा में भूसे व नीम की सूखी पत्ती की तह बिछा लें तथा बोरे को दीवार से 50 सेंटीमीटर दूर रखें, नए बोरियों को नीम के 5% घोल में उपचारित कर तथा सुखाकर ही अनाजों के भंडारण हेतु प्रयोग करें l कृषि विज्ञान केंद्र के विषय वस्तु विशेषज्ञ- मृदा विज्ञान, डॉ संदीप प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी जानने के लिए मृदा परीक्षण करवा ले जिससे कृषक बंधुओं को अगली फसल हेतु उपयोग की जाने वाली उर्वरक की मात्रा मृदा स्वास्थ्य कार्ड द्वारा प्राप्त की जा सकती है l नमूना लेने से पूर्व प्रयोग किए जाने वाले उपकरण, औजारों को सैनिटाइज अवश्य कर ले तथा इस दौरान मास्क का प्रयोग भी अवश्य करें l मृदा जांच हेतु नमूना फसल कटाई के बाद ले खेत की मेड से 2 मीटर अंदर, 15 सेंटीमीटर गहराई से अंग्रेजी के वी (V) आकार का गड्ढा बनाकर नमूना ले l 5- 7 स्थानों से नमूना एकत्र कर आपस में मिला लें, चार बराबर भागों में बांटे, आमने-सामने की मिट्टी हटा दें, शेष मिट्टी को पुनः मिला ले, फिर यही प्रक्रिया करें, आमने सामने की मिट्टी मिलाए, शेष 2 भाग को हटा दें, यह कार्य तब तक करें जब तक 400 से 500 ग्राम मिट्टी से बचे l उसके बाद एक साफ थैले में भरकर उसमें किसान का नाम, गाटा संख्या, बोई गई फसल का नाम तथा बोई जाने वाली फसल का नाम लिखकर जिला मृदा जांच प्रयोगशाला अथवा कृषि विज्ञान केंद्र की मृदा जांच प्रयोगशाला में भेजें l कृषक बंधु हरी खाद के लिए सनई, ढांचा की बुवाई के लिए खेत की तैयारी करें तथा 45- 50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें l साथ ही खरीफ फसलों की तैयारी हेतु खेतों की ग्रीष्मकालीन जुताई का कार्य भी करें l